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नारद मुनि कछे के हे राजन् राज्य कर्ता जे जे देवने पशुनुं बलिदान आपे छे अने यज्ञ करतां जे जे पशुयज्ञ करेछे दयारहित जे हजारो जीवनी हिंसा करे छे. इत्यादि. हात स्मृति विशे हारीत ऋषि अमरीश राजा प्रत्ये कहे छे.
तस्मात्तु वैष्णवो भूत्वा वैदिकं वृत्तिमाश्रितः कुवत भगवन्प्रात्यै कुर्यादादिकर्म यत्
अर्थ :- हे अमरीश राजा तमो वैष्णदीक्षा धारण करीने वैदिकवृत्ति तेने करो अने पशुहिंसा रहित यज्ञ करो. भगवाननी प्रीतिने माटे एवं करशो तो तमारा कुटुम्ब सहवर्तमान तमो मोक्ष पामशो.
वृद्ध पाराशरीने विशे पाराशर ऋषि प्रत्ये कहेछे.
वृद्धान्साधून् द्विजान्मौलान्यानालं मानयेन्नृपः पीडां करोति चाभीष्टा राजा क्षिप्रं क्षयं व्रजेत्
अर्थः- पाराशर कहेछे. जे राजा थईने वृद्धने महा पुरुषोने ने ब्राह्मणने मानता नथी. ने आमिष ( मांस ) ने नाटे पशुने पीडा करछे. एटले पशुने मारीने जे बलिदान आपेछे ए राजा तत्काल नाश पामे छे.
एते त्वां संप्रतीक्षन्ते स्मरतो वैशसं तव संपरेतमयः कूटैश्विछंदत्युत्थितमन्यवः ॥
अर्थः–नारद कहेछे. हे राजन् दृष्टिए करीने तुं उपर आकाश मार्गमां जो. तारी वाट पशु जुए छे के क्यारे ए राजा मृत्युने पामे तो अमारुं वेर लोढाना शींगडा वडे करीने लईए. ए प्रकारे नारद मुनिए ब्रहस्पति राजा प्रती कहेलुं छे. हे राजा, कोई यज्ञ जीवहिंसा रहित करवो एथी बीजुं श्रेष्ठ शुं छे. के ते पोताना हृदयरूपी कुंड निर्माण करीने भक्ति ज्ञानरूपी अग्नि प्रगट करीने काम क्रोध, लोभ, मोह, मद मत्सररूपी ज्वलन अने इंद्रियरूपी जे घोडा अने वृत्तिरूपी जे अज ( बोकडा ) ए सर्वनी आहुति हृदयरूपी कुंडमां साक्षात् चतुर्भुजरूपी जे भगवान रह्याछे तेने ए इंद्रियरूपी पशु बलिदान आप एटले सर्व इंद्रिओ परमात्मान विशे लगाडो ए यज्ञ समान बीजो यज्ञ नथी. तेम इंद्रियरूपी पशुना बलिदान शिवाय बीजुं बलिदान नथी. अने बुद्धिरूपी बीजी कोई देवी नथी. ए देवीने प्रसन्न करीने 'घरमात्मा नेविशे लगाडवी ए समान बीजुं देवीनुं पूजन पण नथी.
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