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बतावेलां प्रकरण तथा अध्यायनो श्लोक छ एम जाणवू तेनी हकीकत विस्तारी कहुं छु. ते ध्यान आपी सौथी प्रथमना जे भेळा ३ श्लोक छे ते प्रस्ताविक छे, एम हालमां मानवामां आवेलुं छे, पण ते कोईक ग्रंथना होवाज जोइए एम अनुमान पण थाय छे. कारण के तेनो पण अर्थ आ आपेला शास्त्रोना भावार्थमां मळे छे, जेथी हवे ते ३ प्रस्ताविक छे एम मान्यु छे. तथा त्यारपछीना आंक ४-५-६ एम ७ श्लोक प्रमाणसहस्रीनां आचार प्रकरणना पाना ५ मांथी लीधेला छे. त्यार पछी आंक -७ मानो श्लोक १ पातंजल योगदर्शन साधन पाद श्रुति सूत्र ३० मुं छे ते ते ग्रंथमा जोवाथी खात्री थशे. तथा आंक ७ मां बीजानो तथा आंक ८-९-१०-११-१२-१३-१४-१५-१६-१७-१८-१९-२०-२१-२२२ एम १५ प्रमाणसहस्त्री नामना ग्रंथना आचार प्रकरणना पाना ३२ थी ४१ ध लीधेलां छे. ते ग्रंथ जोवाथी तथा आपेला जुदा ग्रंथोना प्रमाण छे तेने सूत्रोना मथाला उपर ते प्रमाणे ते ग्रंथो जोवाथी खात्री थशे. तथा आंक १८ थी १९ ना श्लोक बे लघु चाणाक्य राजनीतिना बीजा अध्यायना छे ते ग्रंथ जोवाथी खात्री थशे. सर्वे ऐक्य म सूत्र २४ थाय छे. तेमां सात सात आंकना बे सूत्र छे. तेम प्रथमनां ३ आंक तो सूत्र पातंजल योग दर्शन साधन पाद ग्रंथनु सूत्र ३० मुंछे, त्यार पछी बीजा ७ माना आंकनुं सूत्र छ, तेम प्रमाण सहस्रीनुं छे; हवे प्रमाण सहस्री ए एक छापेलो ग्रंथ छे जेमां बधा प्रकरणमा आवेला एक हजार प्रमाण छे. ते ग्रंथ रची छपावनार यजुवंशी ठाकरशी सुत प्रागजीन नामथी मुंबई निर्णयसागर छापखानामां छाप्यो छे.
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