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नं. २७. जीवहिंसा हिंदुशास्त्र आधारे करवा विषे मनाईना जबाब. १ एवां अथवा कोई कार्य करवामां जीवहिंसा सर्वे हिंदु तथा मुसलमानोना धर्मशास्त्रोमां पण बिलकुल मनाई करेली छे.
२ हुं तथा सर्वे आर्य हिंदुशास्त्र माननारा आर्यजन विद्वानोना सर्वमान्य तथा बहु. मान्य शास्त्रमा जीवहिंसा पशुवध करवा सखत मनाई प्राचीन महाने पूर्वे करेली छे.
३ चालतां क्रियाणशास्त्र तथा चालतां हिंदुपुराणो एवां सर्वे शास्त्रोमा मुख्यत्वपणुं धरावनारा चारे वेदमंत्रमा तथा श्रुतिमां तथा जैन शास्त्रोमा सर्वोपरि सिद्धांत श्री भगवतीजि तथा पनवणाजि तथा आचारंगजि तथा उपांशंगदसाजि विगेरे जैनधर्म बत्रीश सिद्धांत कहेल छे. तेमां सर्वथा प्रकारे एकेंद्रिथी पंचेंद्रि जीवोनी हिंसा तथा वध करवानी मना करी छे ते तमाम सिद्धांतना सर्व अध्ययन तथा अध्यायमा प्राणातिपात एटले प्राणिना घात करवा सर्वथा निषेध छे. उपरनां सर्वे शास्त्रो बलवान् गणाय छे. तथा प्रमाणिक पण छे तेम आर्यजनो सर्वे माने छे.
४. नीतिधर्म पालनार तथा प्रतापी राजाओ पुरेपुरा न्यायवंत राजा तथापि अकृत्य कर्म प्राणियोने वध करे तो बलवान् शास्त्र, वेद, श्रुति, स्मृति, सूत्रनी. आज्ञा तोडी तेम गणाय तेनुं स्पष्ट कारण आ प्रमाणे नीचेना श्लोकथी जाणवू. ..
सूत्र ३ भेलांछे आहिंसा सत्यमस्तेयं त्यागो मैथुनवर्जन पंचखेतेषु धर्मेषु सर्वे धर्माः प्रतिष्ठिताः॥१॥ यो दद्यात् कांचनं मेरुं कृत्स्नां चैव वसुंधरा एकस्य जीवितं दद्यात् न च तुल्यं कदाचन ॥२॥ मनमल छांडे सोइ स्नान जीव रक्षे सोई दान॥ ज्ञानतत्व अभ्यंतरधरना निर्मल एहीज ध्याना ॥३॥
___ अर्थ नीचेप्रमाणे छे. हिंसा करवी नहीं. सत्य तजवू नहीं असत्य आचरवू नहीं, परिग्रहनो त्याग करवो एटल उपर मायानो त्याग, परस्त्री तथा नीतिविरुद्ध भैथुननो त्याग करवो. १ कंचन कहेतां
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