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नं० २०. गोंडलवाला शास्त्री केवलराम लीलाधरनो अभिप्राय. सौजन्य सुधासागर रा. रा. भाई श्री.-प्राणजीवन जगजीवन महेता,
मु. धर्मपुर. महाराजा साहेब नामदार महाराणा श्री मोहनदेवजी महाराजनी हजुरमा शास्त्री-केवलराम लीलाधरना आशिर्वाद मान्य करशो.
१ प्रश्ननो उत्तरतंत्रमा वाम दीक्षावालाने मद्य-मांसनुं बलिदान विहित छे. २ प्रश्ननो उत्तर
न हिंस्यात्सर्वभूतानि-अहिंसा परमो धर्मः ॥ इत्यादि वाक्यो वेदमा तथा शास्त्रमा अनेक छे. ते वाक्य हिंसानो निषेध करे छे.
४ प्रश्ननो उत्तरतंत्र शास्त्रनी दीक्षावाला राजाने ते शास्त्रना विधिप्रमाणे वर्तवू. ५ प्रश्ननो उत्तर
एवी हिंसा न करवाथी अकार्य कर्यु गणाय नहीं. तेम राजाने अथवा तेनी प्रजाने आपत्ति योग आवे एवं अहीं के बीजे उपलब्ध नथी.
६ प्रश्ननो उत्तर___ पशुवधने बदले सहस्रचंडी इत्यादि अनेक प्रकारे देवी- आराधन छे. ते सौ विद्वानो. ना जाणवामां छे.
७ प्रश्ननो उत्तरपशुनां नाक कान कापवाथी ते विधि पुरो थाय एम अमारा वांचवामां आव्यु नथी.
धर्मशास्त्रनी-भागवतादिक पुराणनी स्मृतिमोमा घणां वाक्यो हिंसानी निंदा करनारां छे. तेम करवाथी प्रत्यवायथी तेमना प्रायश्चितो पण लखे छे. माटे अशास्त्र हिंसा न करवी ए उत्तम पक्ष छे. वास्तविक विचार करता जे जे क्रिया रागथी प्राप्त छे. ते निवृत्ति माटे कोई
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