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नं. ३.
श्री रेवा थियोसोफीकल सोसायटीनो अभिप्राय.
मे. रा. रा. प्राणजीवन जगजीवन मेहेता एम. डी. चीफ मेडीकल ओफीसर साहेब स्टेट, धर्मपुर.
सुन महाशय.
अमो अमारी सोसायटी तरफथी आपना अखंड प्रौढप्रताप करुणासागर महाराजा श्री मोहन देवजी एमने उमंगभेर उपाडी लीधेला महाकार्य माटे धन्यवाद आपतां जणावीए छीए के आपना महाराजा श्री क्षत्रिय कुलना मुगटमणि छे. क्षत्रिय एटले क्षत् (घा) करणारा थकी त्राता ( रक्षण करता ) पण नहि के क्षत् (घा) करनारा. क्षत्रियोनुं भूषण सत्व छे. सत्व ए सर्व गुणगणमां मस्तकमणि जयश्रीने आपनार अने सर्व पदार्थनी सिद्धि करवामां लोकोत्तर कामधेनु समान छे. महापुरुष पोतानी कार्यसिद्धि मात्र उपकरणो ( साहित्यो ) थी नहि, पण पोताना सत्वर्थाज करी शके छे. कहेवत छे के -- ज्यां साहस सत्व ) त्यां सिद्धि. हवे जेमने सत्वगुण प्राधान्य के एवा क्षत्रियोने ( राजाओने ) सर्वमान्य आर्य वेदोमां विष्णुनी ( सर्व व्यापक निर्मल परब्रह्म परमात्मानी ) उपासना करवानुं कहेलुं छे; ते देवनी उपासना यावत् मोक्ष सुखने आपे छे. पण कालक्रमथी शत्रुने मारी नांखवानी अथवा एवी बीजी कामनाओने आधीन थई केटलाक क्षत्रियो ( राजाओ ) रजो अथवा तमोगुणी देव देवीनी उपासना करवा लाग्या देवीना उपासको शाक्तिकना नामथी ओळखाय छे. अने तेमां जे वाममार्गीओ छे तेमने
मांसं मयं च मीन चमुद्रा मैथुनमेव च । एते पंचमकारास्तु मोक्षदा हि युगे युगे ॥
अर्थ ः— मांस, मद्य, मीन ( मांछलां ) मुद्रा अने मैथुन ए पांच मोक्ष आपनार मानेलां छे. शुं एमना मतनी बलिहारी ! ! ! आ वाममार्गीओए जीभनी लालसाथी देवीने मांसादिनो बलि आपवानो मार्ग प्रवर्ताव्यो छे; अने ते देवीपुराण, भविष्योत्तरपुराण विगेरे रजोगुणी पुराणोमां दुर्गादेवीना नवरात्र उत्सव विधिमा जोवामां आवे छे. आ उपरथी हेमाद्रिए उतारो कर्यो भने ते धर्मसिन्धु तथा निर्णयसिन्धु ए वे ग्रंथना कर्ता ओर सर्व पर्व तिथियो क्यारे क्यारे करवी अने तेमां शुं शुं करवुं ए बाबतना निर्णयनो संग्रह करतां पोताना समयमां प्रवर्तमान नवरात्रोत्सव विधि पण ते ग्रन्थना आधारे बताव्यो छे. जुओ धर्मसिन्धु -सक मेन
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