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________________ १०४ ४ प्रश्ननो उत्तर. राजपुरुषों ए कर्तव्य नथी के एवां गरीब प्रजाना जीवमां सहायभूत प्राणीओनो विनाकारण दुष्ट रूढी रुप संकुलामां बद्ध थइ वध करवो. केमके एम थवाथी राजपुरुषोनुं कर्तव्य सिद्ध थयुं गणाय नहीं. मनु महाराजे तो क्षत्रीओने जे कर्तव्य कर्म लख्यां ते आ प्रमाणे छे. प्रजानां रक्षणं दानमिज्याध्ययन मेवच विषयेष्व प्रसक्तिश्च क्षत्रियस्य समासतः अर्थ - क्षत्री ( राज पुरुषे ) प्रजानुं सर्व रीते रक्षण करवुं अनाथ अथवा विद्वानोनो यथा योग सत्कार करवो, सर्वना सुखने माटे यज्ञ करवा, वेद शास्त्रो भणवां, विषय सुखमां अति आसक्त न थनुं, इत्यादि संक्षेपमां क्षत्रीओनां कर्तव्य कह्यां छे. एज कर्तव्य राजाओने कल्याण करनार छे. एज प्रमाणे भगवद्गीतामां पण श्रीकृष्ण भगवाने राजाओनां कर्तव्य कर्मों नीचे प्रमाणे लख्यां छे. शार्यतेजोवृतिर्दाक्ष्यं युद्धेचाप्यपलायनम दान मीश्वर भावश्च क्षात्रं कर्म स्वभावजम् अर्थात्-राजपुरुषोए पराक्रमी थवं, शरीर तथा विद्या विर्यथी तेजस्वी थवं धीरज राखवी उदार थवु, युद्धमां कायर थइ पार्छु हठवुं नहीं. उदारता राखवी - ईश्वरने विषे आस्तिक बुद्धी राखवी एटलां क्षत्रीओनां स्वभावथी एटलां कर्मों उत्पन्न थयेलां छे राजाओनुं एज कर्तव्य छे. शुद्रकनीति तथा मनुस्मृत्तिमां राजधर्ममां विजया दशमी विगेरे पर्वोपर पशुवध करवो जणावेलो नथी. राजनीति राजाओनो प्रधान धर्म छे ( स्वेस्वेकर्मण्यत्रिरतः संसिद्धिलभते नरः ॥ श्रीकृष्णजीए अर्जुनने पण एमज कं छे के पोत पोताना वर्णाश्रम धर्म पालवाथीज शुभ सिद्धि छे. बलवान् शास्त्रो एवी आज्ञा करतां नथी. ने एवी क्रिया न करवाथी शास्त्रोनी आज्ञानुं उल्लंघन गणायज नहीं. एवा प्रसंग उपर हिंसा न थवाथी राज्यने प्रजाने तथा राजाने अंगे कोइ पण प्रकारनी आपत्ति आवती नथी परन्तु ॥ अहिंसा प्रतिष्ठायां वैरत्यागः एम व्यासजीए पोताना पातंजली दर्शने भाष्यमां कह्युं छे. अर्थात् हिंसा तजवाथी जे पशुओनो विना कारण वध थवाथी आवता जन्ममां वैर लेवाने माटे भय उत्पन्न थाय छे तेनो अटकाव थता आ लोकमां वैर त्यागनो मोटो लाभ थाय छे. पशु वध करवाथी राज्यने ने प्रजाने तथा राजाने अंगे हरकत थाय ए केवल वहेम छे. एतदर्थ प्रतिपादक प्रमाणो वामीओनां बीलकूल मिथ्या छे. एनी साबेती एटलीज के जेने काठियावाड विगेरे संस्थानोना राजाओए एवां पर्व पर हिंसा छोडी छे, तेओने एवीज कोइ प्रकारनी आपत्ति आवी होय एम जाण्यामां आव्युं नथी. कदापि कोइने कोइ प्रकारनं नुकशान थयुं वा थशे तो हिंसा छोडवाथीज थयुं एम सिद्ध थइ शकतुं नथी. तेमां बीजां घणां कारणो होवां जोइए परन्तुं एवां निंद्य कर्मनो त्याग करवाथी प्रतिष्ठा वधे छे, माटे ए महापापनुं काम छोडवाथी :- कोइ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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