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________________ नं. २ लडीवाळा वैजनाथ मोतीराम भट्टनो अभिप्राय. ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते || पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ।। ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः शान्ति शान्तिः अनुमान प्रमाण तथा प्रत्यक्ष प्रमाण विचारीए, अनुमान अने प्रत्यक्ष प्रमाण प्रथम स्थूळ बुद्धिथी विलोकिये तो आ दुनिआमां शुभ अशुभ बनावो बने छे ते बनावोनो कोई कर्ता होवो जोई - कारण के कारणाभावात् कार्याभावः अ वैशेषिक सूत्र छे. अनो अर्थ अवो छे के कारणना अभावे कार्यनो अभाव छे, - अटले कारण विना कार्य थतुं नथी. ते कारण बे छे एक उपादान, बीजुं निमित्त. निमित्त कारण ए के कुंभार चक्र अने दंड. माटी ए उपादान कारण छे अने घडो ए कार्य छे. आमां निमित्त कारण कुंभारज कहेवाय छे अने चक्रने दंड ए तो सहकारि कारण छे माटे छोडी दईए छिए तेम उपादान कारणने पण छोडीए छीए. कारण के ए तो जड छे. कुंभार निमित्त कारण छे ने ते चैतन्य छे एम ते बतावी शके छे. ए प्रमाणे आ शुभाशुभ बनावोनुं निमित्त कारण कोई होवु जोईर. कारण के “कार्यात् कारणं प्रतीयते” अर्थः- कार्यथी कारण जणाय छे. ए बनावोनो करनार कोई जोईए एम अनुमानमां आवे छे. त्यारे एनो बनावनार कोण हशे ? अने ते बे शुभ अने अशुभ कार्य थाय तो तेना कर्त्ता एक हशे के बे एम विचारतां एम अनुमान जाय छे के ए बेना कर्त्ता बे जुदा जणाय छे कारण के जे सारा छे तेनाथी नठारुं भाग्ये ज थाय छे, अने नठाराथी सारुं भाग्येज थई शके छे. जेथी एक सारुं करनार अने एक नठारुं करनार एम बे जणाय छे. आ जे करनारा छे ते देखाता नथी तेथी एमने देव एवी संज्ञा आपीये छीये कारण के अदृश्य छे. हवे राजानो धर्म एवो छे के जेम बने तेम प्रजा सुखी थाय एम करवुं प्रजाने पीडा थती होय तो ते पीडा दूर करवा माटे कदाच जानमालनी नुकशानी थाय तो खेर पण प्रजाने दुःखी थवा न देवी. त्यारे प्रजाने दुःख देनार आ बे देवमांना एक जे अशुभ कार्यवाळा छे ते होवा जोईए. ए देवो साये राजा युद्ध करी शके तेम नथी तेथी तेने कई आपीने पण संतोषवा जोईए, जेथी प्रजाने पीडा दूर थाय अने तेओ खराब कृत्य करनारा छे, माटे तेमनो खोराक पण खराब हरो, एम धारी तेने तेना लायक खोराक आपको जोईए. अने ते खोराक आपतां कदाच एक जीवनी हिंसा थतां घणा जीव उगरता होय तो एक जीवनी हिंसा थवाने अडचण नथी एम धारीने तेने एक जीव वर्षोंवर्ष आपवाथी तेओ पीडा नहि करे एम धारी तेमने राजाए आपवो. अगर जो नहीं आपे तो पीडा करशे; माटे तेमने भेट आपवी कारण के तेमनी साथे युद्ध करी जीती ताबे करी शकाय तेम नथी. हवे आपणे विचार करीए के आ बे देवमां बळवान् कोण छे ? अने बळवानना पक्षमां रहीए तो नबळो कांई करी शके के नहीं ? अने नबळाना पक्षमां रही बळवाननो द्रोह करीए तो नबळा काई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034575
Book TitlePashu Vadhna Sandarbhma Hindu Shastra Shu Kahe Che
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference
PublisherJain Shwetambar Conference
Publication Year
Total Pages309
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Gujarati, Book_Devnagari, & Book_English
File Size24 MB
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