________________
[ १६ ] विषम परिस्थितियों में कहाँ चाय दूध, अन्न, जल और कहाँ सुन्दर उपाश्रय कहाँ स्वागत सम्मेलन ? इत्यादि किन्तु जिन महाभाग आत्माओं का विमल उद्देश्य केवल परोपकार और सद्धर्म प्रचार का ही हो वहां सद्मार्ग में आई हुई कठिनाइयों से उन्हें दुःख नहीं अपितु अपार हर्ष होता है। इसी प्रकार प्राचार्यदेव अपने धवल उद्देश्य को लक्ष्य में रखकर क्रमशः विहार करते हुए उपकेशपुर नगर के निकट पधार गए। . .. ___ "तत्रश्रीमान् रत्नप्रभसूरिः पंचशतशिष्यसमेतः लूणाद्रहीं समायाति. मासकल्पं पारण्यं स्थितः” - उन्होंने पारण्य अर्थात् लूणाद्रही पहाड़ी पर ध्यान लगा दिया। कई साधुओं के तप का पारणा होने से भिक्षा निमित्त कई मुनि नगर में गए पर उस नगर में मांस मदिरा वर्जित ऐसा कोई घर प्राप्त नहीं हुआ कि जहाँ से साधु भिक्षा अंगीकार कर सकें। ___ "गौचयाँ मुनीश्वराःवजन्ति परं भिक्षां न लभन्ते लोकाः मिथ्यात्व वासिनः यादृशाःगता तादृशा आगता मुनीश्वराः पात्राणि प्रतिलेख्य मासं यावत् संतोषिणः स्थिताः।" __मुनीश्वर जैसे गए थे वैसे ही पीछे लौट आए, पात्रों का प्रतिलेखन कर संतोष किया और तपो वृद्धि की भावना से ज्ञान ध्यान में संलग्न हो गए किन्तु इस भांति औदारिक शरीर वालों का कार्य कहां तक चलसक्ता है। मुनियों के पुनः पुनः विनय करने पर
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com