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( १८ ) की जाती है कि इस पर्चे को दफ्तर दास्त्रिल करे और दूसरा नोटिस निकाले कि बड़े मन्दिरजी से पार्श्वनाथजी का पगलिया चला गया तथा हीरावाड़ी के मन्दिर में खरतर गच्छ वालों ने बिना श्री संघ की आज्ञा पगलिया रख दिया इसलिए कमेटी बुलाई जा रही है इत्यादि" . ___आदमी नोटिस लेकर वापस आया। खरतरे वहाँ बैठे ही थे। मुनीम ने उस नोटिस को दफ्तर दाखिल कर दिया और दूसरा नोटिस निकालने लगा तो खरतरों ने पार्श्वनाथजी का पगलिया लिखने की मनाई कर दी और कहा कि किसी का नाम मत लिखो सिर्फ इतना ही लिख दो कि बड़े मन्दिर से पगलिया गया । बस मुनीम ने उसी तरह नोटिस लिख कर दुबारा भेजा परन्तु उस समय रात्रि बहुत चली गई थी वास्ते कमेटी दूसरे दिन करना निर्णय कर लिया। दूसरे दिन चैत वदर को कमेटी के मेम्बरान बड़े मन्दिर के मकान में एकत्र हुए परन्तु खरतर गच्छ वालों में से कोई एक बच्चा भी नहीं आया । तब उन को बुलाने के लिए भेजा परन्तु किसी ने कोई बहाना, किसी ने कोई बहाना, बतला दिया। फिर भी कार्य करना खास जरूरी था। जितने मेम्बर आये हुए थे उन्होंने कार्य प्रारंभ किया । पुजारी को बुला कर उसका बयान लिया और पगलिया की तलाश करने के लिए बहुत कुछ का तथा जहाँ तक पगलियों का पता न मिले वहाँ तक बड़े मन्दिर के पुजारी की तनख्वाह बन्द कर दी जाय तथा हीरावाड़ी के मन्दिर के पुजारी को भी बुलाया पर वह उस समय मिला नहीं तथापि उसने बिना श्री संघ को इत्तला दिये पगलिया मन्दिर में रखने दिया तथा बिना टाइम मन्दिर को खुला रखा
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