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________________ ( १७ ) ८-किसी ने कहा यदि पगलिया दादाजी का न होगा तो दादाजी क्यों बतावेगा ? कारण खरतरों को. पार्श्वनाथजी के पगलियों की इतनी परवाह नहीं है। __९-कई कह रहे थे कि यदि मुनीचन्दजी बड़े मन्दिर के पगलिया का पता नहीं लगावेंगे तो होरावाड़ी के पगलियों के लिये शरीर मरो कर परचा दिया कहते हैं यह सब धोखेबाजी और कपट क्रिया ही है। १०-कई कहने लगे कि आधुनिक एक तपागच्छ के श्रावक ने दादाजी के पगलियों पर वासक्षेप डाल कर प्रतिष्ठा को उसके लिये तो दादाजी उसी वक्त मुनीचन्दजी के शरीर में आकर परचा दे दिया अब पार्श्वनाथ के प्राचीन पादुकों के लिये चुपचाप बैठ गये । इसमें क्या रहस्य होगा ? __इत्यादि जहाँ देखो शहर में इसी बात को चर्चाएं हो रही थीं। पर दिन भर में पगलियों का पता नहीं लगा। आज स्वामिवात्सल्य होने पर भी जैनों के चहरे पर खासी उदासीनता छाई हुई दीख पड़ती थी। शाम के समय तीन चार खरतरों ने मन्दिर में जाकर मुनीम से एक नोटिस निकलवाया जिसमें लिखा था कि 'बड़े मन्दिरजी से दादाजी का पगलिया चला गया है जिससे कमेटी की जाती है। ठीक समय पर मेम्बरान पधारें। जब यह परचा तपागच्छ वालों के पास पहुँचा तो उन्होंने पढ़ कर उस नोटिस के नीचे नोट लिखा कि:___ "नोटिस में दादाजी का पगलिया लिखा वह गलत है, पगलिया पार्श्वनाथजी महाराज का था अतएव मुनीम को हिदायत Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034563
Book TitleNagor Ke Vartaman Aur Khartaro Ka Anyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktisagar
PublisherMuktisagar
Publication Year
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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