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________________ ( १६ ) भला यह सुनकर किसको दुःख नहीं होता है ? सब लोग बड़े मन्दिर में एकत्र हुए और पुजारी को पूछा। पुजारी ने कहा कि कल शाम तक तो पगलिया था सुबह देखा तो पगलिया नहीं मिला, इत्यादि । इस विषय की भी शहर में अनेक प्रकार से बातें होने लगी जैसे कि १-कई कहने लगे कि पगलिया दादाजी का था। २-कइयों ने कहा कि पगलिया पार्श्वनाथजी का था। ३- कइयों ने कहा कि पगलियों पर नाम नहीं था पर पार्श्वनाथ के पगलिया कहे जाते थे। ४-कइयों ने कहा कि पगलिया तपागच्छवालों ने गुम. कर दिया। ५-कई बोले कि यह कारस्तानी खरतरों की है क्योंकि पगलिया पार्श्वनाथ का था पर उस पर नाम नहीं होने ६ खरतरे दादाजी का नाम खुदवाने की नीति से पगलिया ले गये हैं। मैंने सुना है कि रातोंरात नाम खोदकर तड़के तड़के पगलिया वापस मन्दिर में रख दिया जायगा पर पाप का घड़ा फूट गया नाम, रात्रि में खुदा नहीं और सुबह सबको खबर हो ही गई । ६-किसी ने कहा यार दादा साहब को सवा रुपया का प्रसाद बोलो अभी पगलिया आ जायगा 'दादो हाथरो हजूर है' __ ७-कइ कहने लगेभाई क्यों फिक्र करते हो चलो मुनीचन्दजी वछावत के पास जैसे हीरावाड़ी के पगलियों के लिये दादासाहब ने वछावतजी के शरीर में आकर परचा दिया था वैसे ही इस पगलिया के लिये भी दादाजी कह देगा कि अमुक व्यक्ति पगलिया ले जाकर अमुक स्थान में रक्खा है फिर तो क्या देरी है पुलिस लाकर गिरफ्तार करवा लेंगे। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034563
Book TitleNagor Ke Vartaman Aur Khartaro Ka Anyaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktisagar
PublisherMuktisagar
Publication Year
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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