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* आनम्र निवेदन *
यह "मृत्ति-पूजा-तत्त्व-प्रकाश" नामका एक छोटा निबन्ध छपाकर प्रकाशित किया जाता है। इसमें मूर्ति-पूजा के विषय में यथामति संक्षिप्त रूप से वेद, शास्त्र, इतिहास, पुराण और जैनागम आदि के रुचिर-विचारों का सुचारु-रूप से चयन किया गया है, अतः मूर्ति-पूजा के निगूढ़-भावों के जिज्ञासुक भगवद्भक्ति-भावुक धर्म-प्रिय लघु-बुद्धि वालों के लिये यह अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होगा और उन्हें भी परमोपयोगी सिद्ध होगा जो अपनी अल्पज्ञता से ईश्वर की रचना को 8 सेर की चना बनाते और शास्त्र-सम्मत बातों को शस्त्र से मरम्मत करते हैं।
मूर्ति पूजा के सभी प्रेमियों और विरोधियों से यह मेरा विशेष अनुरोध है कि वे इस पुस्तक को आमूल चूल एकवार अवश्य पढ़े और मध्यस्थ बुद्धि से विचार करें। इसमें लेखक की सफलता कहां तक है, विचार-शील पाठक ही कहेंगे। ___ मनुष्य के कृतियों में प्रमाद और भ्रम का न होना ही असंभव है, अतः जो महाशय इसके वास्तविक भूलों को मुझे सूचित करेंगे, उनका अवश्य भाभारी बनूगा और विशेष आभारी हूं-विविध-विद्या-कुमुदिनी-कुमुदनायक जैनाचार्यवर्य श्रीमद्विजयनेमिसूरीश्वरजी के पट्टालंकार भाचार्य श्री
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