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अमूल्य कार्य छोड़कर शीघ्र मिलनेको आयेंगे ।
प्रथम इस बातका विचार करना अत्यन्त आवश्यक है कि संदेश भेजने की विधि क्या है और उसको भेजनेमें क्या २ करना पड़ता है ?
विचार दो तरह से जासकता है प्रथम विधिमें मन तथा मस्तक दोनों कार्य करते हैं और दूसरी विधिमें सिर्फ मन ही अकेला कार्य करता है |
प्रथम विधि पहिले पहिले मनमें बिचार ही उत्पन्न होता है यह विचार अपने सूक्ष्म शरीरपर असर करता है, और दक्ष्य शरीर अपने स्थूल मस्तकपर असर करता है फिर अपने मस्तक से विचारके अनुसार दृढ़ शक्ति उत्पन्न होकर इयर द्वारा समक्ष मनुष्यके स्थूल मस्तक और सूक्ष्म शरीर पर असर करती है और स्थूल शरीर द्वारा उसके मनमें अपनने जो विचार गठित किया है उत्पन्न करती है । यह विषय बहुत गहन है अतएव मैं यहां इसी का विचार करूंगा कि मनुष्य अपने विचारोंको दूसरे मनुष्यके पास मात्र विचारशक्तिसे भेज सकता है |
मनुष्यके मास्तिष्क इथर द्वारा शक्ति आसपासके इथरमेंसे चारों तरफ शक्तिएं उत्पन्न करती हैं, परन्तु वह मनुष्य बहुत गहन विचारों में डुबा हुआ है जिसपर कि अपने संदेश भेजनेवाले हैं कुछ भी असर नहीं करेगा. कारण कि विचार किसी दूसरे विषयमें लीन है उसी विषयकी शक्ति उसके अन्दरसे निकल रही है इसलिये उस दृढ़ शक्तिके मुकाबले में उसपर यह शक्ति असर नहीं कर सकती है। जो मनुष्य अन्धा हो वह प्रकाशकी शक्तिओं को नहीं ग्रहण कर
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