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होते हैं, बहुतसे निष्फल होते हैं इसका मुख्य कारण यही कि जगतके अधिक मनुष्योंके विचार निर्बल होते हैं, कुछ समयतक ही वे एक ही प्रकारका विचार नहीं कर सकते हैं। इससे परिणाम यह होता है कि विचारकी शक्ति एक पल में उत्पन्न - जागृत होती है और दूसरी पलमें नाश होती है। इससे विचारकी सम्पूर्ण आकृति नहीं गठिन होती हैं । इन प्रयोगों के करने वालोंको अपने मन स्थिर करनेका प्रकत्न करना सीखना चाहिये, कि प्रयोग करते समय विचार दृढ़ रखने चाहिये। विचारसे मनुष्य चाहे वहां संदेश भेज सकता है और वे शीघ्रतासे वहां पहुंच जाते हैं। स्थायी होनेसे उसकी आकृति नहीं बदलेगी । विचारकी दृढ़ता से रास्ते में आने वाले विघ्नोंका (भेद) न कर इच्छित स्थान पर पहुंच जायगा । जिसके पास पहुंचेगा उसके मस्तिष्क में समावेश होकर असर करेगा ।
मानसिक संदेशके विषय में पहिले यह बात याद रखना चाहिये कि जब मनुष्य एक ही विचार में लीन होता है तो उस विचारकी शक्ति महान् चमत्कारिक असर करती है इतना ही नहीं कि यह शक्ति वहां पहुंचेगी । इच्छित असर उत्पन्न करनेको भाग्यशाली होगी । इससे दूसरेके दुर्गुण छोड़ाये जा सकते हैं, उसका प्रेम जीत सकते हैं तथा हितके कार्य दूसरोंके पास करा सकते हैं कि जिस काम को करनेकी उसकी ईच्छा न हो तो भी इस विद्याकी शक्ति द्वारा उससे इच्छित कार्य करा सकते हैं ।
यदि किसीको अपने किसी मित्र अथवा स्नेहीको मिलनेकी तीव्र ईच्छा हो तो उसको चाहिये कि वह अपने मनको इसी ईच्छा में लीन रक्खे तो वह मित्र अथवा स्नेही अपना अमूल्यसे
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