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इस विद्याको जानते थे परन्तु बीचमें इस विद्याको कुछ समयके लिये जादु आदि कहते थे परन्तु अब यह बात अक्षरशः २ सिद्ध हो चुकी है कि मनुष्य चाहे तो इसके द्वारा अपना कार्य कर सकता है। पत्र लिखे बिना अथवा मुंहसे बोले विना अपने दूर किसी परदेशमें रहनेवाले मित्र अथवा स्नेहियोंसे बात हो सकती हैं । इस विद्याको मेन्टल टेलेपेथी कहते हैं । यह सर्व कार्य सिर्फ मनसे हो सकता है और इनको मानसिक संदेश कहते हैं । एक मनुष्य दूसरेके पास अपनी मानसिक शक्ति द्वारा संदेश भेजता है इसमें आश्चर्य करनेकी कोई बात नहीं है। मि० मारकोनीके बिजलीका यंत्र जड़ पदार्थ है । इथर द्वारा दूसरे दूर परदेशोंमें विनलीके यंत्रोंमें आबाज भेजी जाती है तो फिर मन यह तो अनंत शक्ति शाली है वह अपने विचारों का दूसरेके मनपर इयर द्वारा क्यों न असर करा सके ! अर्थात् कर सकता है। इस विषयका कार्य करनेको किसी तरहके सांचे अथवा साधनकी आवश्यकता नहीं होती है!
वर्तमान समयमें पुरुष अथवा स्त्री विचारसे संदेश भेजना चाहे और तार अथवा पोष्टकी सहायता विना दूर रहने वाले स्नेहीके साथ बातचित करके आनंद लेना चाहे तो यह होसकता है, बहुतसे मनुष्योंका यह विचार रहता है कार्य बहुत सहल है, करलेंगे परंतु जब वे इसमें निष्फल होते हैं, तब बहुत उदास होते हैं, इसलिये दूसरेको विचार भेजने के पहिले ये बातें सीखना चाहिये।
आकाश अथवा इथरके द्वारा विचार भेननेके पहिले एकाग्रतासे विचार करनेकी शक्ति प्राप्त करना चाहिये । बहुत मनुष्य निराश
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