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पाकोंको विक्ति रहे कि पर पाया विशेष बईम रूक जानेले इस पुस्तकको संयोजनामें बहुत मल्ल टाईम मिला है. जियाले अमवार शिकार प्रकरण, मांस प्रकरण, स्वार्थ प्रकरण, देव प्रकरण, आदि सुव्यवस्थि त रचना नहीं हो सकी है. इस बातका मुझे अफसोस है. आगेके भागाम क्रमवार रचनासे विभूषित इस पुस्तकको बनानी ' यह मेस खास विचार है और इस रिचारको अगर बनातो जरूर अमलमें रखने की कोशीश करूंगा.
जबतक इस पुस्तकके चारों भाग पादकोंकी नज़र मुवारकसे न गुजरे वहाँ तक किसी एक वरफी ख्यालसे अपने मनको मजबूर मत करना. पस. वही आखिरी मलामन है.
संयोजक..
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