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महाराजा मानसिंहजी इसलिये गवर्नर-जनरल की आज्ञा से सरकारी सेना मारवाड़ पर तीन तरफ़ से चढ़ाई करेगी । गवर्नमेंट का यह झगड़ा महाराज और उनके मुसाहिबों से है । इसलिये जब तक मारवाड़ की प्रजा सरकारी सेना से शत्रुता नहीं करेगी, तब तक उसको किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाई जायगी ।
इसके बाद कर्नल सदरलैंड, पोलिटिकल एजैंट मि० लडलो (Capt. J. Ludlow) और १०,००० सैनिकों को साथ लेकर अजमेर से पुष्कर और मेड़ते होता हुआ जोधपुर की तरफ़ चला । मारवाड़ के बहुत से सरदार भी उसके साथ हो लिए । यह समाचार सुन महाराज स्वयं सदरलैंड के सामने चले, और बनाड के पास पहुँच उससे मिले । दोनों में कुछ देर तक मामले की बात-चीत होती रही, इसके बाद सब लोग जोधपुर चले आएँ। दूसरे दिन महाराज ने जोधपुर का किला गवर्नमैंट को सौंप देना मंजूर कर लिया । इसपर फिर गवर्नमैंट के और महाराज के बीच एक अहदनामा लिखा गया । परंतु यह अहदनामा महाराज ने व्यक्तिगत रूप से लिखा था । इसीलिये इससे इनके उत्तराधिकारियों का संबंध नहीं रक्खा गया।
अहदनामे का सारांश आगे दिया जाता है:
ब्रिटिश-गवर्नमैन्ट और जोधपुर दरबार के बीच की मित्रता पुरानी चली आती है और वि० सं० १८७५ ( ई० स० १८१८) की संधि से यह और भी पक्की हो गई है। इसी से यह मित्रता आज तक बराबर चली आई है और आगे भी चलेगी।
१. इस में के आधे सैनिक गोरे और आधे हिंदुस्थानी थे । इस चढ़ाई में भार-बरदारी के लिये
१,००० ऊंट बीकानेर के वकील की तरफ से और १,००० मारवाड़ के सरदारों की
तरफ से एकत्रित किए गए थे। २. यह समाचार सुन फौजराज भाद्राजन, कुशलराज कंटालिया और प्रायस लक्ष्मीनाथ अपने
जागीर के गांव पांचू ( बीकानेर राज्य ) में चला गया; क्योंकि सरदारों के कहने से सदर
लैंड ने इनको राज्य के लिये हानिकारक समम रक्खा था। ३. इसी वर्ष आश्विन बदि ६ (२८ सितम्बर ) से जोधपुर में गवर्नमेंट का डाकखाना
खोला गया। ४. ए कलैक्शन् ऑफ ट्रीटीज़ एंगेजमैंट्स एण्ड सनद्स, भा० ३, पृ० १३५-१३७ ।
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