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मारवाड़-राज्य के कुछ मुख्य-मुख्य महकमों का हाल, म्यूनिसिपल कमेटी (नागरिक प्रबन्ध का महकमा) यह महकमा पहले-पहल ई० स० १८८४ में कायम हुआ था और ई० स० १९१८ में नगर की सफाई के लिये एक 'हैल्थ ऑफ़ीसर' नियुक्त किया गया। इसके बाद ई० स० ११३७ में पहले-पहल जातियों की तरफ़ से दिए हुए कुछ नामों में से चुनकर इसके मैम्बर बनाने का नियम बनाया गया ।
इस समय इस म्यूनिसिपल बोर्ड के कुल ३८ मैम्बर हैं, जिन में ७ राज कर्मचारी ( ex-oficio ) और बाकी के चुने हुए या नामजद ( nominated ) मैम्बर हैं।
यह महकमा नगर में सफ़ाई, पानी, रौशनी और नए बननेवाले घरों का समुचित प्रबन्ध करता है और इसके सतत परिश्रम से इन विभागों में अच्छी उन्नति हुई है ।
ई० स० १९२८ से नगर में बढती हुई गलियों की संकीर्णता को रोकने के लिये जमीन के नए पट्टे इस महकमे की राय लेकर दिए जाने का नियम बनादिया गया है। इसके अलावा हालही में म्यूनिसिपैलिटी के प्रबन्ध को और उन्नत करने के लिये दरबार की तरफ से एक कमेटी भी बिठाई गई है ।
गत वर्ष इस म्यूनिसिपैलिटी पर जोधपुर-दरबार का २,२६,६८५ रुपया खर्च हुआ था ।
इस नगर-म्यूनिसिपैलिटी के अलावा परगनों में भी कुछ म्यूनिसिपैलिटियां हैं । उनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:
फलोदी, डीडवाना, बालोतरा, बाहडमेर, भीनमाल और लाडनू की म्यूनिसिपैलिटियां अपना ख़र्च आप चलाती हैं । नागोर, जालोर और पाली की म्यूनिसिपैलिटियों को राज्य से मदद दी जाती है । बाली, सोजत और मेड़ता की म्यूनिसिपैलिटियां अभी केवल सफाई का काम ही करती हैं।
सेना-मंत्री (मिलिटरी सैक्रेटरी) के अधीन के महकमे:
सेना-विभाग जोधपुर का सेना-विभाग भी बराबर उन्नति कर रहा है और इसने यहां के सरदार-रिसाले और सरदार इनफैंट्री (पैदल सेना ) को ब्रिटिश-भारत की सेनाओं के समान सुसज्जित और सुशिक्षित बनाने की पूरी-पूरी चेष्टा की है । इसी सिलसिले में
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