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मारवाड़ का इतिहास खेती का काम, स्वास्थ्य-रक्षा ( hygiene ) का काम और स्वयं सेवकी ( scouting ) का काम जैसे उपयोगी विषयों में से किसी एक का जानना आवश्यक करदिया गया। हिन्दी मास्टरों के पुराने ट्रेनिंग स्कूल की उन्नति की गई और दो नए ट्रेनिंग-स्कूल; एक अंगरेजी मास्टरों की और दूसरा स्त्री-शिक्षाओं की शिक्षा के लिये कायम किए गए । साथ ही शिक्षकों के वेतन में भी वृद्धि की गई ।
इस समय मारवाड़ में लड़कों के १८० और लड़कियों के ३५ स्कूल हैं । लड़कों के स्कूलों में १३७ राजकीय, २२ सहायताप्राप्त ( aided ), ८ मंजूर शुदा ( recognized ) हिन्दी (vernacular) और अंगरेजी-हिन्दी (anglo-vernacular ) स्कूल, १ डिग्री-कालिज और १२ संस्कृत-पाठशालाएं हैं । इन संस्कृत-पाठशालाओं में १ सरकारी, ६ सहायता प्राप्त ( aided ) और ५ मंजूर-शुदा ( recognized ) पाठशालाएं हैं। लड़कियों के स्कूलों में २६ सरकारी, और ६ सहायता-प्राप्त (aided) हैं, तथा इनमें से १४ जोधपुर नगर में और २१ बाहर परगनों में हैं । इन बालिका विद्यालयों में इस समय कुल मिलाकर ३,२२० लड़कियां शिक्षा पाती हैं । इनके अलावा औद्योगिक और कला-कौशल की शिक्षा के लिये नगर में एक बिजनैस-क्लास (Business class) और एक टैक्निकल-क्लास (Technical class ) भी खोला गया है ।
इस समय कालिज के विद्यार्थियों की संख्या २३४, हाइस्कूलों के ( जिनकी संख्या ५ है ) विद्यार्थियों की संख्या २,५६२ और मारवाड़ के सब स्कूलों में शिक्षा पानेवाले छात्रों की सम्मिलित संख्या २३,१९५ है ।
इन स्कूलों में विद्यार्थियों की स्वास्थ्य-रक्षा पर भी पूरा ध्यान रक्खा जाता है, और इसी से उनका अपने-अपने स्कूल में होनेवाले नित्य के खेलों आदि में भाग लेना आवश्यक करदिया गया है । विद्यार्थियों में स्वयं-सेवक बनने ( Scout movement) का भी प्रचार किया जाता है और उनकी संस्था के प्रधान (Chief Scout ) का पद स्वयं जोधपुर-नरेश ने कृपाकर अङ्गीकार किया है ।
मारवाड़ के विद्या-विभाग पर दरबार के वार्षिक २,१३,००० रुपये खर्च होते हैं।
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