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मारवाड़-राज्य के कुछ मुख्य-मुख्य महकमों का हाल
जोधपुर रेल्वे. इस समय तक जोधपुर-सूरसागर, परबतसर, समदड़ी-रानीवाड़ा, और मारवाड़ जंक्शन-फुलाद शाखाओं के और भी खुल जाने से जोधपुर-रेल्वे का विस्तार ७६७ मील के करीब पहुँच गया है। इसी प्रकार २६ नए स्टेशनों के खुलजाने से जोधपुर-रेल्वे के स्टेशनों की कुल संख्या ११० हो गई है। इनमें से ४८ स्टेशन ब्रिटिश-भारत के सिंध और बलूचिस्तान प्रान्त में हैं। इनके अलावा मारवाड़ में होकर निकलनेवाली बी० बी० एण्ड सी० आइ० रेल्वे के २३ स्टेशन और भी मारवाड़ राज्य में वर्तमान हैं।
इस रेल्वे की कुचामन रोड से खोखरोपारवाली, लूनी जंक्शन से फुलादवाली और जोधपुर से सूरसागरवाली शाखाओं पर और राई-का-बाग तथा मण्डोर के स्टेशनों पर 'कण्ट्रोल-सिस्टम' से काम होता है । ___ इस रेल्वे की लूनी से सिंध वाली शाखा पर ५० के स्थान पर ६० पाउंड की लोहे की पटड़ी (रेल्स) लगादी गई है और डेगाना-सुजानगढ़ शाखा पर ३० के बदले ५० पाउंड की लोहे की पटड़ी (रेल्स ) काम में लाई गई है। बहुत से जंक्शनों आदि के घेरे ( Yards ) फिर से बढ़ाए या ठीक किए गए हैं और जंक्शनों और मुख्य शाखा पर 'सिग्नलिंग' का भी पूरा इन्तिजाम किया गया है ।
जोधपुर-रेल्वे के कारखाने में बिजली से चलनेवाली नए ढंग की मशीनें लगाई गई हैं और इस रेल्वे के अन्य विभागों में भी यथासाध्य उन्नति की गई है । आगे के लिये फलौदी-पौकरन, बीलाड़ा-जैतारन और रानीवाड़ा-पीपराला आदि शाखाओं के खोलने पर विचार हो रहा है ।
इस समय तक जोधपुर रेल्वे पर राज्य के ४,७४,०२,६२६ रुपये लग चुके हैं ।
१. इसी समय के बीच बीलाड़ा ब्रांच जो पहले छोटी पटरी ( Nerrow Guage) की थी
बीच की पटरी (Meter Guage) की करदी गई और जसवन्तगढ-लाडनू शाखा
( जो करीब १ मील लम्बी थी) उठादी गई । २. पहले जोधपुर और बीकानेर की रेल्वे साथ ही काम करती थी । परन्तु वि. सं० १९८१ ___ की कार्तिक सुदि ५ (ई० स० १६२४ की १ नवम्बर) से इन दोनों का प्रबन्ध जुदा-जुदा
करदिया गया और बीकानेर-रेल्वे बीकानेर-दरबार को सौंप दी गई ।
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