________________
महाराजा जसवन्तसिंहजी (द्वितीय) वि० सं० १९४७ की कार्तिक वदि ८ ( ई० स० १८६० की ५ नवंबर) को वायसराय मार्किस ऑफ लैन्सडाउन और पौष वदि ८ (ई० स० १८९१ की ३ जनवरी) को रूस का शाहजादा ( हिज़ इम्पीरियल हाइनैस ग्रांड ड्यूक जारविच ऑफ़ रशिया) जोधपुर आया । राज्य की तरफ़ से इन दोनों का ही यथा-योग्य आदरसत्कार किया गया । ____ मारवाड़ में इस साल कहत (अकाल ) था। इससे देश के क्षुधा-पीड़ित लोगों को मजदूरी पर लगाने के लिये नये काम ( रिलीफ़ वर्क्स ) खोले गए और रेल्वे द्वारा बाहर से नाज लाने का प्रबन्ध भी किया गया ।
वि० सं० १९४८ की सावन बदि ५ (ई० स० १८९१ की २६ जुलाई) को नगर के 'हाई स्कूल' में तार के काम की शिक्षा देने के लिये एक कक्षा ( क्लास) खोली गई।
इसी वर्ष लैटिनेंट कर्नल लॉक ने मारवाड़ की बीकानेर की तरफ़ की सरहद का निर्णय कर दिया ।
वि० सं० १९४८ की सावन वदि १२ (ई० स० १८११ की १ अगस्त) को गवर्नमेंट ने मालानी परगने का सारा प्रबन्ध, कुछ शर्तों पर, जोधपुर दरबार को लौटा दिया, परन्तु फौजदारी मामलों के फैसले करने का इख़्तियार रैजीडेंट के अधीन ही रहा । इस पर राज्य की तरफ़ से मुंशी हरदयालसिंह वहां का सुपरिंटेंडेंट नियत किया गया।
इसी वर्ष की भादों वदि ३ (२२ अगस्त ) को बड़ोदा-नरेश और आश्विन सुदि १ (३ अक्टोबर ) को बीकानेर-नरेश महाराजा गंगासिंहजी जोधपुर आकर महाराज से मिले ।
___ फागुन वदि ७ (ई० स० १८१२ की २० फ़रवरी) को महाराज कुमार सरदारसिंहजी का विवाह बूंदी में होना निश्चित हुआ । इस अवसर पर सिरोही, पटियाला, बीकानेर, अलवर, नरसिंहगढ, धौलपुर, झाबुवा, रतलाम, सीकर और खेतड़ी के राजा, कश्मीर और टोंक के राजाओं के भाई तथा जयसलमेर रावलजी के पिता
१. उस समय यह 'दरबार हाई स्कूल' तलहटी के महलों में था। २. इसी वर्ष की १ जनवरी को गवर्नमेंट की तरफ से मुन्शी हरदयालसिंह और ठगी डकेती के
महकमे के सुपरिन्टैन्टैन्ट लाला किशोरीलाल को राय बहादुर' के खिताब मिले ।
४८५
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com