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________________ राजा गजसिंहजी खजाने का रुपया वीरों और कवियों को पुरस्कार देने में ही खर्च होता था। महाराजा को हाथियों और घोड़ों का भी बड़ा शौक था । साथ ही यह समय-समय पर अपने मित्रों और अनुयायियों को भी अच्छे-अच्छे हाथी और घोड़े मेट या पुरस्कार रूप में देते रहते थे। राजा गजसिंहजी के बनवाए हुए स्थानः-जोधपुर के किले में तोरनपौल, उसके आगे का सभामंडप, दीवानखाना, बीच की पौल, कोठार, रसोईघर, और आनन्दघनजी का मन्दिर, तलहटी के महलों में अनेक नए महल; सूरसागर में कूँआ, बगीचा और महल । राजा गजसिंहजी के दो पुत्र थे । अमरसिंहजी और जसवंतसिंहजी । राजा गजसिंहजी के दिए गांवों में से कुछ के नाम यहां दिए जाते हैं: १ सोभडावास २ पांचेटिया ३ राजगियावास खुर्द ४ रैंडी ( सोजत परगने के), ५ मालीवाड़ा खुर्द (बीलाड़ा परगने का), ६ सूरपालिया (नागोर परगने का), ७ धरमसर (पचपदरा परगने का), ८ कोटडा (जालोर परगने का), ६ रूपावास (पाली परगने का ), १० भाटेलाई का चारणों का वास (जोधपुर परगने का ) चारणों को; ११ पलाया (जालोर परगने का) पुरोहितों को और १२ दागड़ा ( मेड़ता परगने का), १३ रेवडिया ( सोजत परगने का ) भाटों को। १. आज कल इन स्थानों का पूरी तौर से पता लगना कठिन है, क्योंकि इनमें के कुछ तो गिरा दिए गए हैं और कुछ के रूप बदल गए हैं । २०६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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