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________________ राव चूडाजी ११ विजेमलं, १२ लुंभा, १३ शिवराज और १४ रामदेव ।। नव-विवाहिता पत्नी कोड़मदे उसके साथ सी हो गई । उन्हीं में यह भी लिखा है कि चिता-प्रवेश के पूर्व कोड़मदे ने अपनी एक भुजा काटकर श्वशुर के चरणों पर रखने के लिये भेज दी थी । राणगदेव ने उसकी दाह-क्रिया करवाकर उसी में पहने हुए जेवरों से वहाँ पर कोड़मदे-सर-नामक तालाब बनवाया । यह बीकानेर से ८ कोस पश्चिम में है । परन्तु वास्तव में यह तालाब जोधार्जी की माता ने बनवाया था । यह बात वहाँ से मिले वि० सं० १५१६ (ई० सन् १४५६ ) के जोधाजी के लेख से सिद्ध होती है। उपर्युक्त युद्ध वि० सं० १४६२ (ई० सन् १४०६ ) में हुअा था (ऐनाल्स ऐंड ऐंटिक्विटीज़ ऑफ़ राजस्थान, भा॰ २, पृ० ७३२)। अड़कमल का इस प्रतिज्ञा-पूर्ति से प्रसन्न होकर चूंडाजी ने उसे डीडवाना जागीर में दे दिया । कुछ ख्यातों में अड़कमल का इस युद्ध में अधिक घायल हो जाने से छ महीने बाद मर जाना लिखा है । परन्तु कुछ में इसका रणमल्लजी की चाचा और मेरा पर की चढ़ाई के समय उनके साथ रहना और मार्ग में तलवार के एक ही बार से एक शेरनी को मारना लिखा है। इस घटना के बाद उपर्युक्त वैर का बदला लेने के लिये राणाँगदेव ने मेहराज पर चढ़ाई की। यद्यपि इसकी सूचना मिलते ही राव चूंडाजी स्वयं उसकी रक्षा को चले, तथापि इनके पहुँचने के पूर्व ही वह मेहराज को मार और उसकी जागीर के गाँव को लूटकर लौट गया । यह देख चूंडाजी ने उसका पीछा किया, और ( जैसलमेर-राज्य के ) सिरढाँ-नामक गाँव के पास उसे जा बेरा । युद्ध होने पर राज़ंगदेव मारा गया, और चूंडाजी उसका डेरा लूट वि० सं० १४६२ (ई० सन् १४०६) में ही नागोर लौट आए। ___ ख्यातों में लिखा है कि इस प्रकार अपने पुत्र और पति के राठोड़ों के हाथ से मारे जाने पर राणगदव की स्त्री ने यह निश्चय किया कि जो कोई राव चूंडाजी से इन दोनों का बदला लेगा, उसी को मैं पूंगल का राज्य सौंप दूंगी। यह सुन जैसलमेर-रावल केहर का पुत्र केलण, जो अपने बड़े भाई रावल लखमण से मनोमालिन्य हो जाने के कारण वीकमपुर में रहता था, पूंगल जाकर राणगदेव की स्त्री ( सोढी) से मिला, और वहाँ का अधिकार प्राप्त करने के बाद मुलतान के सेनानायक की सहायता प्राप्त कर चूंडाजी को धोके से मारने में सफल हुआ। कर्नल टॉड ने रागणंगदेव के दो पुत्रों का मुसलमानी धर्म ग्रहण कर खिजरस्ताँ से सहायता प्राप्त करना और केल्हा का उनके साथ मिलकर अपनी लड़की का विवाह चूंडाजी से करने के बहाने चूंडाजी को नगर से बाहर बुलवाकर मारना लिखा है (ऐनाल्स ऐंड ऐंटिक्विटीज़ ऑफ राजस्थान, भा॰ २, पृ० ७३३-७३४) । १. किसी-किसी ख्यात में लिखा है कि इसने जालोर-नरेश चौहान बीसलदेव को बाथ (भुजाओं) में पकड़कर मारा था । इसलिये यह 'बाथपंचायण' (बाथपंचानन शेर् की-सी भुजाओंवाला ) के नाम से प्रसिद्ध हुआ । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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