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* महावीर जीवन प्रभा *
भगवान् दक्ष थे, प्रतिज्ञा निर्वाहक थे, दर्पण के समान जिनके सर्व गुण स्पष्ट दिखाई देते थे, प्रकृतिभद्र, सर्व गुण सम्पन्न, ज्ञातनन्दन, कुलचन्द्र, त्रिसला देवी के प्यारे पुत्र थे, दीक्षा के पूर्णाभिलाषी थे
एक वर्ष पूरा होने पर भगवान् ने वर्षीदान देना प्रारम्भ किया- प्रति दिन पौन प्रहर में एक करोड़ आठ लाख १०८००००० सोनयों का दान करते थे- यहाँ सौलह मासों का एक सौनया समझना- वर्ष में कुल ३ अर्ब ८८ कोड ८० लाख सोनयों का दान दिया; अतिरिक्त इसके अन्य भी घोड़ा, हाथी, वस्त्र , पात्र , रत्नादि का संख्यातीत दान देकर लोगों को सुखी बनाये ,
इस वक्त " जय जय नन्दा-जय जय भद्रा" आदि शब्दों से लोकान्तिक देवों ने भगवान् को दीक्षा का अवसर ज्ञापन किया; यद्यपि प्रभु स्वयं जानते हैं, तदपि लोकान्तिकों का यह कर्तव्य है कि समय पर तीथकर देव को अत्यन्त मधुरीवाणी से दीक्षा का टाइम ज्ञापन करें; परमात्मा तो पहिले ही विरक्त हो चुके थे, देवों के वचनों को सुनकर अवधि ज्ञान द्वारा मालूम किया और सर्वत्याग कर प्रत्रज्या के लिये तत्पर होगये.
प्रकाश-भगवान् मात-पिता के लिए तो विनीत थे ही; पर बड़े भाई का वचन भी बड़े आदर से स्वीकार Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com