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* महावीर जीवन प्रभा *
कि तुम जैसा पुत्र रत्न मुझे मिला है; यद्यपि तुम मोहमाया से उन्मुख हो, काम-कषायों के विजेता हो, भौगिक सुख तुमको रुचिकर नहीं है, फिर भी हमारी इच्छा पूर्ण करने के लिये एक विनीत कन्या से शादी कर हमें प्रसन्न करो. भगवान उनके स्नेहमय आग्रह का उलंघन नहीं कर सकते थे; इसलिये मौन रहे. "मौनं सम्मति लक्षणं इस सत्र के अनुसार माता-पिता ने भारी तैयारी के साथ समरवीर सामन्त राजा की पुत्री ' यशोदा कुँवरी' के साथ विवाह कर दिया. उससे एक पुत्री का जन्म हुवा, नाम ' प्रियदर्शना' रक्खा गया, इसे भगवान् के भानजे जमाली के साथ लग्न ग्रन्थी से ग्रन्थित कर दिया गया.
प्रकाश- दिगम्बर शास्त्र भगवान् महावीर को अविवाहित मानते हैं और श्वेताम्बर शास्त्र विवाहित मानते हैं. कहा नहीं जासकता कि दरअसल क्या है ? फिर भी अन्य तीर्थंकरों के समान विवाह का होना जीवन पर कोई कालिपा नहीं है, अनेक तीर्थंकरों ने शादी की और फिर सदा के लिये संसार से मुक्त भी होगये तो यह कोई नवीन बात नहीं है, भगवान् ने शादी की तो भी अन्तर से अ. नासक्त रहे . आप भी इससे यह बोध लीजिये कि शादीयाफ्ता होने पर भी उसमें आसक्त न बने; पशुतुल्य
व्यवहार से सदा बचकर मर्यादित जीवन बनावें. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com