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* महावीर जीवन प्रभा *
भिषेक किया, चन्दन से विलेपन कर , अष्ट प्रकारी पूजा कर अष्ट मंगल की रचना की; पीछे आर्ति उतारी, गीतगान और नृत्य किया, वाजिन्त्र बजाये एवं श्रद्धा पूर्ण भावना भाई ; इस प्रकार जन्माभिषेक कर भगवन्त को मातेश्वरी के पास पधरादिये , अवस्वापिनी निद्रा और प्रतिबिंब का अपहरण कर लिया , देवदुष्य वस्त्र और रत्नजड़ित कुण्डल माताजी को भेंट किये तथा भगवान् के क्रीड़ा के लिए सुवर्ण-जटित गेंद रक्खा, अंगुष्ठ में अमृत की स्थापना की बाद ३२००००००० बत्तीस करोड़ सोनया की वर्षा कर इन्द्र ने तमाम देवों के बीच इस प्रकार घोषणा की- भो भो देवाः ! सावधान होकर सुनो-जो कोई देव, दानव या असुर भगवन्त या उनकी माता पर द्वेष करेगा उसका मस्तक इस वज्र से चूर-चूर कर दिया जायगा; इस प्रकार चौसठ इन्द्र और असंख्य देव-देवियाँ भगवान् महावीर देवका जन्माभिषेक कर नन्दीश्वर द्वीप में अट्ठाई महोत्सव करके अपने अपने स्थान पर वापस चले गये. बाद इन्द्र के आदेश से तिर्यग् जम्भक देव ने ३२ करोड़ रुपये ३२ करोड़ सोनये ३२ करोड़ रत्न और नाना प्रकार के वस्त्र प्रमुख पदार्थों की वर्षा की.
प्रकाश- चमकते हुए पुण्य का यह प्रत्यक्ष उदाहरण है, संसार के कल्याण के लिए ही जिसका जन्म हुवा है ,
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