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* महावीर जीवन प्रभा * मनोरञ्जित विहारभूमि पर क्रीड़ा करती हुई महादेवी सुख पूर्वक रहती थीं.
प्रकाश-गर्भावस्था बड़ी नाजुक अवस्था है, गर्भ के रक्षण और पालन पर पूर्ण विवेक की जरूरत है, खानपान और तमाम इतर व्यवहारों पर पूरा कब्जा (CompleteControl) रखना चाहिए, सन्तान धीर-वीर और बुद्धिशाली बने तथा उसके अंगोपाङ्ग और प्रत्यङ्गों में तथा जीवन में कमियाँ न रहें, इस का समग्र बोधपाठ जगज्जननी त्रिसलादेवी के जीवन से सीख कर एक आदर्श माता बनना चाहिये भारत की और संसार की सन्नारियाँ इससे शिक्षा ग्रहण करें.
( दोहले) मातेश्वरी त्रिसलादेवी को गर्भ की वजह से इस प्रकार के दोहले उत्पन्न हुवे थेसत्पात्रपूजां किमहं करोमि । सत्तीर्थयात्रां किमहं तनोमि ।। सदर्शनानां चरणं नमामि । सद्देवताऽऽराधनामाचरामि ॥१॥ निष्कास्य कारागृहतोवराकान् । मलीमसान् किं स्नपयामि सद्य बुभुक्षितान् तानथ भोजयित्वा । विसर्जयामि स्वगृहेषु सुष्ठा २॥ पृथ्वीं समस्तामनृणां विधाय । पौरेषुकृत्वा परमं प्रमोदम् ॥
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