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* गर्भावस्था
[१५ ८. स्वर्णमय दण्डवाली पवन से लहराती हुई पंचवर्णी
ध्वजा देखी. ९. कमल पर स्थापित जल से आपूरित मंगल सूचक
पूर्ण कलश देखा. १०. कमलों से विराजित सौगन्धित नीर से संभृत पब
सरोवर देखा. ११. लहरों से लहरायमान मच्छ-कच्छपादि से शोभित
क्षीर समुद्र देखा. १२. अनेक चित्रों से चित्रित अष्टोत्तर सहस्र स्तम्भों से
विराजित पुण्डरीक विमान देखा. १३. स्वर्ण स्थाल में नानाविध रत्नों से रचित रत्नराशी
देखा. १४. अनेक शिखाओं से युक्त धग् धग् शब्दायमान्
निर्धूम अग्नि देखा. उपर्युक्त चौदह महा स्वम का पतिदेव के सामने विस्तार पूर्वक बयान कर उनके फल की पृच्छा की; सिद्धार्थ नृपेन्द्र ने अत्यन्त हर्षित होकर इस प्रकार उत्तर दिया- हे देवि ! तुमने औदार्य-कल्याणकारी-सुधन्य-आरोग्यदाता-दीर्घायुकर्ता और मङ्गलस्वरूप महा स्वम देखे हैं। हे महामागे ! इन से अर्थलाभ-भोगलाम-पुत्रलाभ-सुखलाभ और राज्यलाभ होगा। इस तरह निश्चय पूर्वक नौ मास साढ़े सात Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com