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* महावीर जीवन प्रभा *
( स्वप्न दर्शन )
जिस रात्रि को त्रिसला माता के गर्भ में भगवान् महावीर अवतरे, उस ही रात को मातेश्वरी ने चौदह महा स्वम देखे, तत्काल ही निद्रा टूट गई, सावधान होकर तमाम स्वप्नों को विचारे, शीघ्र ही पतिदेव सिद्धार्थ के स्थान पर पहुँचकर बड़ी नम्रता और आदर से उन को जागृत किये और मधुरी वाणी से प्राप्त स्वप्नों को इस प्रकार निवेदन किये.
१४ ]
१. मुक्ता फल के पुंज समान सपेत बलवान् सिंह देखा. २. रजत पर्वत समान श्वेत वर्ण का चार दान्त वाला हाथी देखा.
३. कमल पत्रों के समूह समान गौरवर्ण वाला सुडोल वृषभ देखा,
४. स्फार श्रृंगारों से सुसज्जित दिव्यरूप वाली लक्ष्मी देवी देखी.
५. पंच वर्णीय पुष्पों से गूँथी हुई सौगंधित मालायुगल देखा.
६. कर्पूर के पुंज समान अत्यन्त रमणीय पूर्ण चन्द्रमा देखा.
७. अशोक वृक्ष के समान जगच्चक्षु सहस्र किरण सूर्य
देखा.
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