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* गर्भावस्था *
ॐ प्रकरण दूसरा [ गर्भावस्था ]
(ज्ञानत्रय) भगवान जब त्रिसला देवी के गर्भ में थे तब मति-श्रुति अवधि; इन तीन ज्ञानों से अभियुक्त थे- १. निर्मल बुद्धि और निर्मल विचार मति ज्ञान कहा जाता है २. शब्द ज्ञान शास्त्रीय बोध और श्रवण समझ श्रत ज्ञान वदा जाता है ३. रूपी पदार्थों के अवबोध को अवधि ज्ञान कहते हैं.
प्रकाश-पूर्वकृत तपस्या और त्याग का ही यह अतिशय प्रभाव है कि ज्ञानावरणीय के क्षयोपशम से गर्भ में ही तीन ज्ञान प्राप्त थे- यहाँ तो कइ भव व्यतीत होने पर भी मति-श्रुति ज्ञान की आप्ति कठिनतर समस्या है। अतः ज्ञान उपलब्धि के लिए ज्ञान का और ज्ञानी का सत्कारसम्मान बहुमान करिये, उनको बन्दन-नमस्कार करिये, उनका जाप और ध्यान से आराधन कर अभिष्ट फल प्राप्त करिये.
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