________________ (86) करणकुतूहलम् / सकत्करणार्थ तात्कालीनसूर्यः३।०।३५४४सायनः३।१८ / 33 / 40 सायनवित्रिभम् 5 / 28 / 30 / 16 कान्तिः / / 36 / 5 / सोम्या नतांशाः 23 / 59 / 4 उन्नतांश 66 / / 56 ज्या 109 / 24 वित्रिभार्कयोरन्तर 2 / 9 / 57 ज्या 112 / 57 लम्बनम् 3 / 45 इदं पृथक् मध्यमसायनस्थित्यूनस्तिथ्यन्तः 27 / 8 धनं जातम् 30 / 33 स्थित्यर्थम् 30 / 33 एतत्कालीनरविः 3 / 0 / 36 / 14 चन्द्रः 3 / 0 / 57 / 47 पातः 2 / 26 / 21 / 32 सायनसूर्यः 3 / 18 / 33 / 34 सायनवित्रिनम् 6 / 1 / 32 / 35 नतांशा याम्याः 25 / 12 / 23 उन्नतांशा 64 / 47 / 37 नतिः६। 53 सपातचन्द्रः 5 / 27 / 12 / 19 शरः सौम्यः 4 / 24 नतिसंस्कृतस्पष्टशरः 2 / 29 छन्नम् 8 / 23 स्थितिः 2 / 28 अनयोनतिथ्यन्ते 26 / 56 पूर्वागतं लम्बनम् 3 / 25 धनम् 3 / 21 अथासककर्मणार्थम् 30 / 21 एतत्कालीनसूर्यः 3 / 0 / 26 / 2 वित्रिभम् 6 / 0 / 21 / 34 नताशा याम्याः 24 / 43 / 49 उन्नतांश 65 / 16 / 11 ज्या 108 / 44 वित्रिभार्कयोरन्तरम् 2 / 11 / 48 / 12 ज्या 113 / 54 लम्बनम् 3 / 47 स्पष्टं स्थिरलम्बनम् 3 / 25 पृथगिदं मध्यग्रहणस्थित्यूने दर्शान्ते 27 / 8 धनं जातम् 30 / Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com