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पञ्चम अध्याय ।
द्वितीय संख्या - बरडिया ( वरदिया ) गोत्र ।
धारा नगरी में वहाँ के राजा भोज के पर लोक हो जाने के बाद उक्त नगरी का राज्य जिस समय तँवरों को उन की बहादुरी के कारण प्राप्त हुआ उस समय भोजवंशज ( भोज की औलाद वाले ) लोग इस प्रकार थे:--
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१ - निहंगपाल । २ - तालणपाल । ३- तेजपाल । ४ - तिहुअणपाल ( त्रिभुवनपाल ) । ५ - अनंगपाल । ६ - पोतपाल । ७ - गोपाल | ९- मदनपाल । १० - कुमारपाल । ११- - कीर्तिपाल । १२ - जयतपाल, इत्यादि ।
८-लक्ष्मणपाल 1
वे सब राजकुमार उक्त नगरी को छोड़ कर जब से मथुरा में आ रहे तब से वे माथुर कहलाये, कुछ वर्षों के बीतने के बाद गोपाल और लक्ष्मणपाल, ये दोनों भाई केई ग्राम में जा बसे, संवत् १०३७ ( एक हजार सैंतीस में ) जैनाचार्य श्री वर्द्धमानेसूरि जी महाराज मथुरा की यात्रा करके विहार करते हुए उक्त कर्त्तव्य ही यही है परन्तु सभा की तरफ से अभी इस कार्य के करने में हमें लाचारी है, क्योंकि इस में कई एक कारण हैं- प्रथम तो हमारा शरीर कुछ अस्वस्थ रहता है, दूसरे - वर्त्तमान में ओसवाल वंशोत्पत्ति के इतिहास लिखने में समस्त कालयापन होता है, इत्यादि कई कारणों से इस शुभकार्य की अस्वीकृति की क्षमा ही प्रदान करावें" इत्यादि बातें होती रहीं, पश्चात् हम एकादशी को बीकानेर चले गये, वहां पहुंचने के बाद थोड़े ही दिनों में अजमेर से श्री जैन श्वेताम्बर कान्फ्रेंस की तरफ से पुनः एक पत्र हमें प्राप्त हुआ, जिस की नकल जोंकी त्यों निम्नलिखित है:
इस
श्रीजैन (श्वेताम्बर ) कोन्फरन्स, अजमेर, ता० १५ अक्टूबर......१९०६.
गुरां जी महाराज श्री १००८ श्री श्रीपालचंद्र जी की सेवा में - धनराज कॉस्टिया - लि-बंदना मलुम होवे - आप को सुखसाता को पत्र नहीं सो दिरावें और फलोधी में आप को भाषण बटो मनोरंजन वो, राजपूताना मारवाड़ में आप जैसे गुणवान पुरुष विद्यमान हैं जिसकी हम को बड़ी खुशी है - आप देशाटन करके जगह ब जगह धर्म की बहुत उन्नति की - अठी की तरफ भी आप जैसे महात्माओं को विचरबो बहुत जरूरी है- बडा २ शहरा में तथा प्रतिष्ठा होवे तथा मेला होवे जठे - कानफ्रेन्स सूं आप को जावणों हो सके या किस तरह जिस्का समाचार लिखावें-क्योंकि उपदेशक गुजराती आये जिन्की जबान इस तरफ के लोगों के कम समझ आती है - आप की जबान में इच्छी तरह समझ सकते हैं - और आप इस तरफ के देश काल से वाकिफकार हैं-सो आप का फिरना हो सके तो पीछा कृपा कर जबाब लिखें और खर्च क्या महावार होगा और आप की शरीर की तंदुरुस्ती तो ठीक होगी समाचार लिखायेंबीकानेर में भी जैनब कायम हुवा है-सारा हालात वहां का शिवबख्श जी साहब कोचर आप को वाकिफ करेंगे - बीकानेर में भी बहुत सी बातों का सुधारा की जरूरत है सो बणें तो कोशीश करसी - कृपादृष्टी है वैसी बनी रहै
आप का सेवक, धनराज कांसटिया, सुपर वाईझर,
यद्यपि हमारे पास उक्त पत्र आया तथापि पूर्वोक्त कारणों से हम उक्त कार्य को स्वीकार नहीं कर सके ।
१ - एक स्थान में श्रीवर्द्धमान सूरि के बदले में श्रीनेमचन्द्र सूरि का नाम देखा गया है ॥
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