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जैनसम्प्रदायशिक्षा। ७-अमोनिया अर्थात् नौसादर और चूने को सुंघाना चाहिये तथा पैरों को गर्म जल में रखना और शिर को दबाना चाहिये।
८-भौंओं पर दो जोंकें लगानी चाहिये। ९-इस रोगी को नकछीकनी सूधनी चाहिये तथा सूर्योदय (सूर्य निकलने के पहिले तुलसी और धतूरे के पत्तों का रस सूंघना चाहिये।।
१०-घी में पीसे हुए सेंधे निमक को मिला कर उसे दिन में पांच सात बार सूंघना चाहिये, इस से आधाशीशी का दर्द अवश्य जाता रहता है।
११-इस रोग में ताज़ी जलेबी तथा ताज़ा खोवा (मावा) खाना चाहिये। १२-नींब पर की गिलोय का हिम पीने से भी इस रोग में बहुत फायदा होता है।
उपदंश (गर्मी), चाँदी, टांकी, का वर्णन । चाँदी का रोग बहुधा मनुष्य को वेश्यागमन (रंडीबाजी के करने) से होता है, तात्पर्य (मतलब) यह है कि-स्वाभाविक अर्थात् कुदरती नियम के अनुसार न चल कर उस का भंग करने से बुरे कार्य की यह जन्म भर के लिये सज़ा मिल
जाती है।
जिस प्रकार यह रोग पुरुष को होता है उसी प्रकार स्त्री को भी होता है।
चाँदी एक प्रकार का चेपी रोग है, अर्थात् चाँदी की रसी (पीप) का चेप यदि किसी के लग जावे वा लगाया जावे तो उस के भी चाँदी उत्पन्न हो जाती है।
पहिले चाँदी और सुज़ाख, इन दोनों रोगों को एक ही समझा जाता था परन्तु अब यह बात नहीं मानी जाती है, अर्थात् बुद्धिमानों ने अब यह निश्चय किया है कि-चाँदी और सुज़ाख, ये दोनों अलग २ रोग हैं, क्योंकि सुज़ाख के चेप से सुजाख ही उत्पन्न होता है और चाँदी के चेप से चाँदी ही उत्पन्न होती है, इस लिये इन दोनों को अलग २ ही मानना ठीक है, तात्पर्य यह है कि वास्तव में ये
दो प्रकार के रोग अनाचार (वदचलनी) से होते हैं। ___चाँदी दो प्रकार की होती है-मृदु और कठिन, इन में से मृदु चाँदी उसे कहते हैं कि जो इन्द्रिय के जिस भाग में होती है उसी जगह अपना असर करती है अर्थात् उस भाग के सिवाय शरीर के दूसरे भागपर उस का कुछ भी असर नहीं
१-इस के सुँघाने से मगज़ में से विकृत (विकारयुक्त) जल नासिका के द्वारा निकल जाता है, अतः यह रोग मिट जाता है ॥ २-पैरों को गर्म जल में रखने से पानी की गर्मी नाड़ी के द्वारा मगज़ में पहुँच कर वायु का शमन कर देती है, जिस से रोगी को फायदा पहुँचता है । ३-क्योंकि जोंकों के लगाने से वे (जो ) भीतरी विकारको चूस लेती हैं, जिस से रोग मिट जाता है ॥ ४-ऐसा करने से मगज़ में शक्ति के पहुंचने से यह रोग मिट जाता है ।। ५-और चाँदी तथा सुज़ाख के स्वरूप में तथा लक्षणों में बहुत भेद है ।
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