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चतुर्थ अध्याय ।
मालूम होता है, हां इस में यह बात तो अवश्य होती है कि-जिस जगहपर यह चाँदी हुई हो वहां से इस की रसी लेकर यदि उसी आदमी के शरीरपर दूसरी जगह लगाई जावे तो उस जगहपर भी वैसी ही चाँदी पड़ जाती है।
दूसरे प्रकार की कठिन (कड़ी वा सख्त ) चाँदी वह होती है जिस का असर सब शरीर के ऊपर मालूम होता है, इस में यह बड़ी भारी विशेषता (खासियत) है कि इस (दूसरे प्रकार की) चाँदी का चेप लेकर यदि उसी आदमी के शरीरपर दूसरी जगह लगाया जावे तो उस जगहपर उस का कुछ भी असर नहीं होता है, इस कठिन चाँदी को तीक्ष्ण गर्मी अर्थात् उपदंश का भयंकर रोग समझना चाहिये, क्योंकि इस के होने से मनुष्य के शरीर को बड़ी हानि पहुँचती है, परन्तु नरम चाँदी में विशेष हानि की सम्भावना नहीं रहती है, इस के सिवाय नरम चाँदी के साथ यदि बदगांठ होती है तो वह प्रायः पकती है और फूटती हैं परन्तु कठिन-चाँदी के साथ जो बदगाँठ होती है वह पकती नहीं है, किन्तु बहुत दिनोंतक कड़ी और सूजी हुई रहती है, इस प्रकार से ये दो तरह की चाँदी मिन्न २ होती हैं और इन का परिणाम (फल) भी भिन्न २ होता है, इस लिये यह बहुत आवश्यक ( जरूरी) बात है कि-इन दोनों को अच्छे प्रकार पहिचान कर इन की योग्य ( उचित) चिकित्सा करनी चाहिये।
नरम टांकी (सॉफ्ट शांकर) यह रोग प्रायः स्त्री के साथ सम्भोगा करते समय इन्द्रिय के भाग के छिल जाने से तथा पूर्वोक्त (पहिले कहे हुए) रोग के चेप के लगने से होता है, यह चाँदी प्रायः दूसरे ही दिन अपना दिखाव देती है (दीख पड़ती है) अथवा पांच सात दिन के भीतर इस का उद्भवः (उत्पत्ति) होता है। ___ यह (टांकी) फूल (सुपारी अर्थात् इन्द्रिय के अग्रिम भाग) के ऊपर पिछले गढे. में चमड़ीपर होती है, इस रोग में यह भी होता है कि आसपास चेप के लगने से एक में से दो चार चाँदियां पड़ जाती हैं, चाँदी गोल आकार (शकल) की तथा कुछ गहरी होती है, उस के नीचे का तथा किनारे का भाग नरम होता है, उस की सपाटी के ऊपर सफेद मरा हुआ (निर्जीव) मांस होता है तथा उस में से पुष्कल (बहुतसी) रसी निकलती है।
१-अर्थात् यह शरीर के अन्य भागों में नहीं फूटती है ॥ २-अर्थात् इस चाँदी के असर से सब शरीरपर कुछ न कुछ विकार (फुसी, ददोड़े चकत्ते और चाँदी आदि ) अवश्य होता है। ३-अर्थात् इस की रसी लगाने से दूसरे स्थानपर चाँदी नहीं पड़ती है ॥ ४-क्योंकि यह कौन से प्रकार की चाँदी है इस बात का निश्चय कियेविना चिकित्सा करने से न केवल चिकित्सा ही व्यर्थ जाती है प्रत्युत ( किन्तु ) उलटी हानि हो जाती है ॥ ५-साफ्ट अर्थात् मुलायम वा नरम ॥
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