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कमलागच्छ.
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उपर लिखे हुवे ४० मूलगौत्र की साखा प्रतिसाखारुप जातियों हुई है इन सब जातियोंकों प्रतिबोध देनेवाले आचार्य उपकेश गच्छ यानि कमलागच्छके थे वास्ते इन जातियोंका मूल गच्छ उपकेश (कमलागच्छ) है प्रायः इन सब जातियोंकी वंसावलि यां भी उपकेशकमलागच्छ की पोशालोंवाले महात्मा लिखते हैं। कीतनेक ग्रामोंमे महात्माओंका आना जाना न होनेसे भाट लोक भी ओसवालोंकी वंसावलियों लिखनी सरू करदी है पर भाटोंके पास पुरांणी वंसावलियो नहीं है.
कमलागच्छीय महात्माओंकी पोसालो-वीकानेर, नागोर, खजवाणा, खीवसर, संखवाय, मेडता, जोधपुर, पाली, बुंदी, नरवर, आनंदपुर ( कालु ) जसनगर ( केकीन्द ) वैड, लाबीयों जैतारण, रास, आमेट, केलवे, पादडी, पीपलोद, लाहवे, सोजत, राजनगर, पीपलाज, हुरडे, सादडी, चोकडी, पालासणी, कोटा, माधुपुर, ईडवे, सेथाणे, जैपुर, सागानेर, छीपीये, रामपुर, चौणंद, भणाय, कणेडे, इन के सिवाय भी कमलागच्छ की पोसालों होगा इन पोसालोंवाले महात्मा उपर लिखे ४० मूलगोत्र और साखाओं अर्थात् इतनी जातियोंवाले की वंसावलि लिखते है अगर इन जातियोंसे कीसको अपना सरुसे खुर्शी नाम उतारना होतो पत्ता मील सक्ता है. __उपर लिखी जातियोंका मुद्दासर खुलासा साल संवत्
आदि पुरुष तथा सुकृत कार्य कीया हुवोंका वर्णन “ जैन जाति ग्रहोदय " नाम की कीताबमें दीया गया है ।
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