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________________ ( ७३ ) णीया, साखेचा, कटारा, हाकडा, जालोरी, मन्नी, पालखीया, खूमारणा एवं १८ साखाओं कुलहट गौत्रसे निकली वह सब भाई है । कमलागच्छ. - (७) मूल गौत्र विरहट - विरहट, भुरंट, तुहाणा, घोसवाला, लघुभुरंट, गागा, नोपत्ता, संघवी, निबोलीया, हांसा, धारीया, राजसरा, मोतीया, चोधरी, पुनमिया, सरा, उजोत, एवं १७ साखा - ओं विरहट गौत्रसे निकली है वह सब भाई है । (८) मूल गौत्र श्री श्रीमाल - श्रीश्रीमाल, संघवी, लघुसंघवी, निलडिया, कोटडिया, भावांणी नाहरलांगी, केसरिया, सोनी, खोपर, खजानची, दानेसरा, उद्घावत, अटकलीया, धाकडिया भीनमाजा, देवड, माडलीया, कोटी, चंडालेचा, साचोरा, करवा एवं २२ साखाओं श्रीश्रीमाल गौत्रसे निकली वह सब भाई है । ( ६ ) मूल गौत्र श्रेष्टि — श्रेष्टि, सिंहावत्, भाला, राबत, वैद, मुत्ता, पटवा, सेवडिया, चोधरी, थानावट, चीतोडा, जोधावत्, कोटारी, बोत्थाणी, संघवी, पोपावत, ठाकुरोत्, बाखेटा, विजोत्, देवराजोत्, गुंदीया, बालोटा, नागोरी, सेखाणी, लाखांणी, भुरा, गान्धी, मेडतिया, रणधीरा, पातावत्, शूरमा एवं ३० साखाओ श्रेष्ट गौत्र से निकली वह सब भाई है । (१०) मूल गौत्र संचेति - संचेति ( सुचंति साचेती ) ढेलडिया, धमाणि, मोतिया, बिंबा, मालोत्, लालोत्, चोधरी, पालागि लघुसंचेति, मंत्रि, हुकमिया, कजारा, हीपा, गान्धी, बेगा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034521
Book TitleJain Jati Nirnay Prathamank Athva Mahajanvansh Muktavaliki Samalochana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpmala
Publication Year1927
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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