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बोत्थरा.
(५२) ११७२ का था कोनसा विद्वान इन यतियों की गप्पों पर विश्वास करेगा ? इन इतिहास प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि
(१) न तो उससमय चौहानोंमे देवडाजाति का जन्म ही था (२) न उससमय जालौर पर सावंतसिंह देवडा हुवा था (३) न उससमय आबुपर भीम पँवार का राजही था (४) न उससमय चितोडपर राणा रत्नसिंह हुवा था (५) न उससमय मालवामें बादशाही थी (६) न उससमय गुजरातमें बादशाही थी (७) न उससमय दिल्लिपर बादशाह का राज था (८) न उससमय सागर राणा आबुका राजा ही था । (६) न उससमय सागरने मालवा गुजरात बादशाहासे छीना था (१०) न उससमय दिल्लिके बादशाहासे २२लक्षरुपैये दंडके लिये थे
(११) न उससमय दादाजीने बोहित्थको प्रतिबोध दे जैन बनायाथा यतिजी महारज ! सौ वातों में ६६ गप्पों होने पर एक भी सत्य वात हो तो श्रादमीको बोलने को स्थान मील जाता है पर १०० की सौ गप्पों हो उसको मुह उंचा करने को भी जगह नहीं मीलती है यतिजी इस इतिहास युगमे सब बोत्थरा निरक्षर नहीं हैं कि आप कि गप्पों को सत्य मान ले; आगे दादाजीने बोहित्थको राज छोडाने का बडा भारी प्रयत्न कीया पर बोहित्थकी ममत्व राजसे नहीं उत्तरी तब जैनधर्मसे वंचित रख श्रीकर्णको राजा बनाया । क्या यतिजी ! जैन होने पर राज करनेमें इतना बड़ा पाप है या जैन राज
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