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________________ चोरडिया गुलेच्छादि. ( २५) (८) चोरडीया गुलेच्छा पारख बुचा सावमुखादि बा० लि. पूर्व देश चंदेरी नगरी में राठोड राजा खरहत्य राज करता था उस समय राठ लोकोकी फोज संग ले यवन लोक काबलि मुल्क लुट रहे थे. यह वात खरहत्थराजाको खबर होते ही अपने चार पुत्रको संग ले काबुलमे जा यवनोंसे संग्राम कर घनछानके भगा दीया पर अपने चारो पुत्र मुर्छित हो गये उनको चंदेरीमे लाये जीने की आशा छुटी xx जिनदत्तसूरि पधारे धर्म पालनेकी शरिर चारो पुत्रोंको हुसीयार कीये राजापुत्रों सहित जैनधर्म स्वीकार कीया उन चारों पुत्रों के अलग अलग गौत्र स्थापन कीया. प्रामदेवका चोरडीया, निंबदेवका भटनेरा, चोधरी भैसाके पांच ओरतोके प्रत्येकपुत्रास क्रमशः पारख बुचा सावसुखा गदईया (०) चोथा आसलका आसांणी x आगे भैसा शाहाके संघका बारामें कागद काला कीया हैं । समालोचना--अव्वल तो चंदेरी पूर्व में नहीं किन्तु मालवा में है दूसरा चंदेरीमें राठोडोंकाराज नहीं किन्तु चेदीवंसीयोंका राज था. राठोडोंका इतिहास विक्रमकी पांचवी शताब्दी से आजतक का तय्यार हो चुका परं चंदेरीमें कीसी राठोडोंका राज होना पाया नहीं जाता है अगर सामान्य व्यक्ति हो तो इधर उधर गुप्त रह सक्ती है परं एक शूरवीर-साहासिक जो काबुलका रक्षण करनेवाला चार पुत्रोंके साथ हजारों यवनोसे धन छीन कर मार भगानेवाला राजा खरहत्थ कोनसी गुफामें गुप्त रह गया की कीसी इतिहासकारोंने या वरिरस पोषक भाटोंने जिसकी जिक्र तकभी नहीं करी ! वारीधिजीने यह खुलासा नहीं कीया कि खरहत्थराजा पुत्रों सहित जैन बन जाने के बाद चंदेरीका राज कीसको अर्पण कीया ? यतिजी, उस जमानामें विदेशीयोंके हुमलोंसे हिन्दुस्तानका रक्षण करना तो एक बडा भारी प्रश्न हो गया जिस्में खरहत्थ काबलि मुल्कका रक्षण करनेको गया क्या कोई विद्वान इस वातको मानेगा? आज साक्षर चोरडीया गुलेच्छा पारखादि आपकी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034521
Book TitleJain Jati Nirnay Prathamank Athva Mahajanvansh Muktavaliki Samalochana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpmala
Publication Year1927
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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