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अने तेज प्रमाणे 'सम्यक्कना' विषयमां, पण मिथ्यात्व चाल ज पकडी छे, ॥ ते अमारा प्रथमना लेखथी तमोने समज पडीज हशे ? ||
वळी पण एज सूचनामां आगळ वंधीने लखे छे के, - भस्मग्रहना संख्याबंध, भूखथी आकूलव्याकूल थयेला आचार्यो, शास्त्रनुं शस्त्र बनावी, तेवडे दुनीयानो शिकार करवामां फतेह पामे एमां शुं ? आश्चर्य परंतु जेओने अंतर्चक्षु छे तेमने, विचार करवा दो, अने पापखाइमां धकेल देनार सामे, मानसिक टक्कर लेवा दो. ॥
आ लेखमां पण अत्यंत फाजलपणे जड़ बकवादज कर्यो छे, पण अमो एज कहीये छीये के, जो तमारा ढूंढकोने, अंतंर्चक्षु होय तो अमो पण समजाववा, गुरु कृपाथी समर्थ थइ शकीये, एम अमारा अंतःकरणमा प्रेरणा थया करे छे, परंतु वांधोज मोटो तेनो थइ पडेलो छे, एटले अमारो इलाज ज खटेलो छे। अने भूखधी आकूल व्याकूल थयेला आचार्यों तो, गुरु परंपराथी आवेल जे चउदां पूर्वनुं ज्ञान के, जे करोडो अने अबजो पुस्तक उपर पण लखी न शकाय, तेमांथी मात्र लाखो ग्रंथो उपरज लखाय, तेटलुज राखी शक्या छे, अने अमारी वारसमां मुकी गया छे, पण वधारे राखवा समर्थ थइ शक्याज नथी, ते अमो अमाराज दुर्भाग्यनुं चिन्ह समजीये छीये, के जे एवा महापुरुषो, अचानक अघोर दुष्टकालना पंजामां आवी, अमारी वारसमां, वीतराग देवनं निर्मलज्ञान, वधारे राखवाने समर्थज न था ? वास्ते धिकार पडो, तेवा दुष्टकालना मुख उपर, के जे अमारुं सर्वस्व हरण करी गयो, अने अबजो पुस्तकोना वारसानो अमारो दावो छोडावी, केवल लाखो पुस्तकोनोज दावो सोंपतो गयो । वास्ते तेवा दुष्ट काळने तो, अमो वारंवार धिकारज आपी, जे कांइ भगवाननुं ज्ञान परंपराधी आवेलं,
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