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________________ तेवा शब्दोथी एक ज्ञानमात्रना विषयमां, बबे वारी कथन करी फरक शीरीते करी सकाय. ? अगर विषय भिन्न होय तो फरक पण करी सकाय, परंतु एक ज्ञानमात्रनाज विषयमां, एकज शब्दने ववेवार वापरी फरक करवो एतो दोडडायोज करी सके, परंतु थोडो घणो विचार करवावालो तो नज करी सके, एवो विचार वाचकवर्ग करी लेइ. अमारा तरफथी थयेला बीजा प्रकारना विचारोमां जरुर उत्तरसेज. : एम अमो पूर्ण खातरी राखीये छ । यद्यपि तमोए लखेला सात प्रकारना धडा, विवक्षानावशथी, प्रसंगने अनुसरी, एक पदार्थनी साथे, विचार करवाना छे, अने करी पण सकाय छे, परंतु, एकज प्रसंगने अनुसरी, अने एकज विवक्षानावश थइ, २५ बोलना रूपथी, अथवा २५ दृष्टिना रूपथी, एकज पदार्थनी साथे, लागु पाडी आफ्नार, अथवा सिखवनार, जैन मार्गनी शैलीथी तो अजान, अने गुरु परंपराना ज्ञानथी रहित, जैन मार्गना तत्वोनो चोरज ठरसे. । परंतु जैन मार्गना तत्वोनो जाण छे, एम कोइ दिनपण सिद्ध थइ सकवानुं नथी. । केमके जो कदी एक वखते, अने एकज विवक्षाथी, अने एकज प्रसंगने अनुसरी, तमो जेवी रीते एक पदार्थनी साथे लागु पाडवा उतरी पडेला छो, ते प्रमाणे २५ बोलथी, गणधर महाराजाओ, तेमज महान् महान् आचार्यो, एकज वखते, अने एकज विवक्षाथी, अने एकज प्रसंगने अनुसरी, लखी बताववामां कदी पण चुक करताज नही । अगर तमारी तरां २५ बोलना, अथवा २५ दृष्टिना रूपथी, कोइ पण महापुरुषे, कही बताव्या होय तो. तेनुं नाम प्रगट करो.। अमो पण तेनो विचार करवा उतरी पडीमुं. । बाकी कोइ अर्द्धदग्ध पुरुषे, समज्या वगर, भिन्न भिन्न विवक्षाथी समजवाना प्रकारनो संग्रह करी, २५ बोल ठराव्या छे ते तो जैन मार्गनी शैलीथी तदन वि Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034494
Book TitleDharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAmarvijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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