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________________ २०८ आबेला श्रावकोनी सगवड करेली छे । ते सिवाय बीजो एके प्रकार केहवानी सगवड नथी. ॥ ॥ इति भक्तिधर्म आश्रित तृतीयदृष्टांत || ॥ ४ अने एवीज रीते, उपर बतावेला विषय प्रमाणे, जे गाममां, द्रव्य निक्षेपना विषयवालो, "दीक्षा महोत्सव" थाय छे, ते गामना श्रावको, अनेक प्रकारना आरंभने नही गणता हुवा, आवेला श्रावकोनी सगवड पण, केवल धर्मनेज आधीन थइ करता जोइए छीए, । अने एज प्रमाणे " साधुना मरण" बाद, द्रव्यनिक्षेपना विषयरूप शरीरनो, दाह करवाने, भक्तिने वश थइ भगवानना शरीरनो दाह करवाने भेगा थयेला, देवताओनी परे आवेला श्रावको, साधुन भक्तिने माटे, अनेक प्रकारना दुसाला, ते मृतक शरीर उपर, वर्षावी, सेंकडो रूपैयानो खरच करता पण, आपणे जोइए छोए । अने अनेक प्रकारना आरंभने नही गणतां आवेला श्रावकोनी भक्तिपण स्थायिक गामना श्रावकोने करता जोइए छीए । अने ते मृतक शररिने, बहार लइ जवाने, मोटो खरच करी विमान बनावता पण जोइये छीये । परंतु तमारा, अने ढूंढनी पार्वतीना, लख्यामुजब, “ द्रव्यनिक्षेप ” सर्वथा प्रकारथी " अवथ्थु रूपे निरर्थक होत तो, मुर्तिपूजकोनी परे, दीक्षा वखते अने ते मृतक शरीरनी पाछळ, आटलो बधो आरंभ करता नही ! परंतु तमोने पण अमो करता जोइये छीये, तेज द्रव्यनिक्षेपना सार्थकपणानो मजबूत पुरावो छे ॥ " Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat " www.umaragyanbhandar.com
SR No.034494
Book TitleDharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAmarvijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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