SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 197
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १९३ थी, तमासं हृदयज, पथ्थर जेवां बनी गयेलां छ. । तेथी ते सूत्रोना पागेनो, अर्थज अवलो जूवो छो.. ॥जूवो ते विवाह चूलियानो पाठ, अने तेनो अर्थ, सत्यार्थ, पृष्ठ १४७ थी, यथा ॥ कइ विहाणं भंते मनुस्स लोए पडिमा पण्णता गोयमा अने गविहा पाणता उसभादिय वद्वमाण परियंते, अतीत अणागए चौवीसंगाणं तित्ययर पडिमा, राय पडिमा, जक्ख पडिमा, भूत पडिमा, जाव धूमक उपडिमा, ॥ जिन पडिमाणं भंते वंदमाणे अच्चमाणे, हंता गोयमा वंदमाणे अच्चमाणे इत्यादि. ॥ हवे ढूंढनीनो लखेलो अर्थ पण लवीनेबतावीये छीए ते नीचे प्रमाणे. अर्थ-हे भगवान् , मनुष्य लोकमें, कितने प्रकारकी पडिमा ( मूर्ति ) कही है, । गौतम अनेक प्रकारकी कही हैं. । ऋषभादि महावीर (वर्द्धमान ) पर्यंत २४ तीर्थकरोंकी, । अतीत अनागत चौवीस तीर्थकरोंकी पडिमा, । राजाओंकी पडिमा, । यक्षोंकी पडिमा, । भूतोकी पडिमा, । जाव धूम केतुकी पडिमा, ॥ हे भगवान् जिन पडिमाकी, वंदना करे, पूजा करे, हां गौतम, वंदे, पूजे, इत्यादि. उपर लखेला, विवाह चूलिया सूत्रना पाठनो अर्थ, ढूंढनी एज उपर लख्या मुजबज करेलो छे, अने पछी वीजा मतलबना धारानो पाठ लखी, समज्या वगर, उंधा अर्थमां उतरी पडी छे. । तेनो खुलासो जुवो अमारा योजेला 'ढूंढक हृदय नेत्रांजन पुस्तकथी. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034494
Book TitleDharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAmarvijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy