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________________ ܪ नामनुं मुं प्रकरण जूदू पाडी, अडढ़, मग भेगा भड्डी जवा जेवं करी मुकेलुं छे । केमके तमोए पृष्ट २१८ मानी. नीचेनी पंक्तिमां एवं लख्युं छेके, । सास्वादन समकित एक भवमां, उत्कष्ट पांच वार फरसी मिथ्यात्वमां पडे । आ लखाण तमारुं केवल समज्या गरज छे, कारण मोक्ष जता सुधी जे जीव, अर्द्ध । पुदगल परावतन संसारमा भ्रमण करे, ते जीवने त्यां सुधीमां पांचज वार सास्वादन समकितनी फरसना थाय. एवो शास्त्रकारोनो स्पष्टपणे लेख छे, परंतु एक भवमां, पांचवार फरसे एवो लेख नथी, अने ए सास्वादन समकालो जीव, अर्द्ध पुदगल परिभ्रमण करें, एवं तो तमो पण लखो छो, त्यारे विचार करो के, एक भवमां पांचवार फरशे तो पछी अर्द्ध पुद्गल कालमां केटली वार फरसे, तेनो पण कोई नियम तो होवोज जोइये ! अने पृष्ट २१९ मां. लखो छो के, क्षयोपशम समकित एक भवमां, उत्कृष्ट असंख्यवार आवे । ए लेख पण तदन विपरीतज छे, केमके क्षयोपशम समकित वालो जीव, मोक्ष जता सुधी जे अनंत संसार भ्रमण करे; तेमां असंख्यवार ते जीवने ते क्षयोपशम समकित उत्कृष्टपणे आवे, परंतु एक भवमां असंख्यवार आबे एवो सिद्धांतमां लेख नथी। मांटेज अमो कही ये लेके, सम्यत्कना विषयमां, सद्गुरुनी प्रसादी लीघा बगर, मूतिजकोना ग्रंथोनी चोरी करीने, तमो सभ्यत्कना विषयने लेई भाग्या छो. तेथीज तमाराथी, कडबंध बेसती थई सकती नथी. तोपन आपणे आपतो सम्पत्कधारी थर्ड बेठा हो, अने जे मूर्त्तिप कोना ग्रंथोनी चोरी करी लेख लखोछों, तेमणे तो चोर ठराववा म यत्न करो छो, ते तो तमो मोटामां मोडं साहासिकपणुंज धारण करो छो, हवे तमाराज लेखथी परस्परनो विचार पण आ सम्यत्कना विषयमां किंचित मात्र करी तावीये छीये. । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034494
Book TitleDharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAmarvijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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