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________________ भूत साधु पुरुषोनी अंत:करणना तीव्र परिणामथी भक्ति करी आपणा आत्मानुं कल्याण पण मेळवी शकता नही. ॥ वास्ते आमां विशेष विचार करवानो ए छे जे, जैनमार्गनी जेटली धर्म संबंधि क्रियाओ छे, ते बधी ए प्राये द्रव्याथिक चार नयोना मुख्यपणाथी, त्रिजा द्रव्य निक्षेपना विषय सुधीनीज छे. । अने ते वधीए क्रियाओ, मोक्षनांज फलने प्राप्त करवामां कारणभूत छ. । अने ते खास उपयोगवाली अने सार्थकरूपनीज छे. । परंतु जो ते क्रियाना करवावाला जीवोज, केवल मलीन हृदयवाला, अने तत्त्वथी रहितपणे केवल कष्टना करवावाला, अने जूठे जूठनो उपदेश देवावाला, अने उपरथी मोटो भभको बतावी बीजा जीवोने आंजी नाखी तेमना पण सत्य बोब बीजने वाली मुकवावाला, तेवा जीवोने बोध बीजनो अंकुरो उत्पन्न न थाय, तेमां ते त्रण निक्षेपना विषय स्वरूपे वपरातां उत्तम क्रियारूप कारणोनो शो वांक ! जेमके-वर्षा, पवन, गरमाइ, विगरे सर्वे, बीजनी उत्पत्तिमां मुख्य कारण छेपरंतु जो बीजज शेकाइने अर्द्ध दग्ध थया पछी पेरवामां आवे, अने ते कारणो अनुकुल छतां पण, अंकुरो उत्पन्न न थाय, तमां ते वर्षादिक कारणो, निरर्थकरूप छे, एम ते आपणाथी केम कही शकाय.! मात्र तेमां तो ते वीजनीज निरर्थकता गणाय. । तेमज वीतरागनी भव्य मूर्ति, भक्तिनो अंकुरो उत्पन्न करवामां मुख्य कारण होवा छतां पण, अद्धदग्ध पुरुषोना हृदयमां, भक्तिनो अंकुरो उत्पन्न न थाय, तेमां कांइ भगवाननो स्थापना निक्षेप, निरर्थक, अने उपयोग विनानो छे, एम सिद्ध न करी शकाय, तेमां तो एज सिद्धि करी शकाय के, ते जीवोने कोइ विशेष कर्मना उदयथी, अने विपरीत बोध प्राप्त थवाथी अने तेमनुं अंतःकरण अर्द्धदग्ध थइ जवाथी. ते कारण लागु Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034494
Book TitleDharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAmarvijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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