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________________ १०६ परंतु ते खास सूत्रना भेदोथी व्यतिरिक्तना भेदो करेला छे, तेथी भाव सूत्रनी साथे संबंध विनानाज छे. । तेथी भावसूत्रने कोइ प्रकारनो वाध आवे तेम नथी, वास्ते ते सूत्रना चार निक्षेप पण आवश्यक सूत्रनी परे उपादेय वस्तुना होवाथी उपादेयरूपज छे, परंतु उपयोग विनाना निरर्थरूप नथी. । अमो ते मूत्रना चार निक्षेपोना बदले वाडीलाल शाहनी चोपडीनी साथे घटावीने बतावीए छीए, जेथी निरर्थक, अने सार्थकपणानी, किंचित् खवर पडे. ।। सम्यक ए पण एक नाम छे, ते नामनो निक्षेप वाडीलाले, आपणी रचेली चोपडीमां करेलो छे, अने उपयोग विनानो मानेलो छे, तेथीज अमारा करेला तत्त्वाऽतत्त्वना विचारथी निरर्थकपणे निवडेलो छे, केमके एमणे ( वाडीलाले ) अजीवरूप वस्तुमा करेलो छे. १ । हवे बीजो स्थापनानिक्षेप, सूत्रकारे लखेला अक्षरोपणे सार्थक गणेलो छे, छतां वाडीलाल कोरां कागळीयांथी करवानो बतावे छे, तेपण एमनी चोपडीनो करतां एमना कहेवा प्रमाणे निरर्थक होय तेमां तो नवाइज नथी. ॥२॥ हवे त्रिजो द्रव्यनिक्षेप लखेलां पानां पुस्तकमां वाडीलाले बतावी निरर्थ उपयोग विनानो कहेलो छे, अने आ अमारा विचारथी एमनो लेख पण, निरर्थक उपयोग विनानोज ठरे छे, अने एमणे पण त्रण निक्षेप निरर्थकरूपे मानेला छे, ज्यारे एमनी चोपडीना त्रण निक्षेप, निरर्थक ठरी चुक्या, तो पछी एमनी चोपडीनो चौथो भावनिक्षेप सार्थक क्याथी थवानो छे ? केमके एमणे प्रथम सम्य... क एवो नामनो निक्षेपज, खोटो करेलो छे तो पछी, सम्यकना ज्ञाननी प्राप्तिज क्याथी थशे ? अने स्थापना केवल कोरा कागळीयांनी करवानी कही बतावी छे ते तो सार्थक होयज क्याथी ?। अने द्रव्यनिक्षेपमा लावेलां पांनां पत्रां मानी एमणे आ लेख लख्यो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034494
Book TitleDharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAmarvijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages218
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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