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[प्राक्कथन पेंच, फ्लेण्डर्स और नेदरलेण्ड की हजारों प्रजा स्पेनके राजा फिलिप के अत्याचार से पीड़ित हो इंगलेण्ड में आकर बस गई। ४००० फ्लेण्डर्स वाले इंगलेण्ड के नोविच में बसे और वह शीघ्र ही ऊनी वस्त्र का केन्द्र बना । सैकड़ों फ्रान्सीसी रेशमी विनने वाले जुलाहे खास लण्डन में बसे और रेशम का व्यवसाय चल पड़ा । इन विदेशियों के व्यवसायके फलस्वरूप वस्त्र व्यवसाय समुद्र समान बढ़ा। योर्कशायर और लेन्कसायर केन्द्र बन गया । अंग्रेज नौकायें व्यवसायिक पदार्थ लेकर भूमध्यसागर और अन्यान्य स्थानों में आने जाने लगीं। अंग्रेज नाविक दूर देशों में प्रवास करने के लिये लालायित होने लगे। होपकिन इंगलेण्ड से चल कर गायेना पहुँचा और कुछ दिनों वहां निवास कर छल बल से ३०० निग्रो गुलामों को पकड़ा । ड्रेक प्रथम अंग्रेज नाविक है जिसने जलमार्ग से संसार भ्रमण किया । वह प्रथम पांच नौकाओं को लेकर स्पेनियार्ड नौकाओंको लूटने के लिये दक्षिण समुद्र में घुसा । परन्तु चार नौकाएं बिछुड़ गई। तथापि उसने हिम्मत नहीं छोड़ी और स्पेनियार्ड नौकाओं को लूट कर बहुतसा सोना और चांदी प्राप्त किया। किन्तु घर आते उसे डर लगा कि कहीं बड़ी प्रबल स्पेनियार्ड नौकाओंसे भेंट न हो जाय । अतः वह प्रशान्त महासागर के वीच घुस गया । और पूर्व हिन्द को पीछे छोड़ता हुआ हिन्द सागर और केप ओफ गुड होप से होकर तीन वर्ष में घर पहुंचा। रानी इलिजावेथ ने उसका पूर्ण सत्कार कर एक तलवार के साथ नाइट की उपाधि प्रदान की । जिल्बर्ट और रेलिंग नामक दो वैमात्रिक बन्धुओं ने अमेरिका में जाकर न्यु फोकलेण्ड और विर्जिनिया नामक दो उपनिवेश बसाये :
स्पेन नरेश फिलिप इंगलेण्ड से असन्तुष्ट था। उसने 'इन्वीन्सीबल आर्मडा' नामक नौका संघको जिसमें १२० नावें थीं और जिसमें २०००० सिपाही और ८००० नाविक थे—को इंगलेण्डपर आक्रमण करनेके लिये भेजा। परन्तु उक्त नौका संघको पूर्ण रूपेण अंग्रेजोंने नष्ट कर दिया और साथ ही स्पेनके दक्षिण तटपर आक्रमण कर कार्डि नगरको हस्तगत किया इसके बाद ११ दिसम्बर सन १५६६ को अंग्रेज वणिकोंका "ब्रिटिश ईस्ट इंडिया" नामक संघ भारतसे व्यापार करनेके लिये बनाया गया। और भारतके साथ व्यापारीक संघर्षका प्रारम्भ हुआ। जब अंग्रेज भारतके प्रति अग्रसर हुए तो पोरचुगिज और डच उनके विरोधमें खड़े हुए। क्यों कि उस समय वही दोनों समुद्रको अपने आधीन मानते थे ।
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