________________
[ चालुक्य चंद्रिका
समय प्रबल हो चुका था गोविंदरावका सहायक बन गया। इस पर मानोजीराव ब्रिटिश after संघके दरवाजे विक्रम १८३६ वाली फतेहसिंह कृत सन्धिकी दुहाई देता हुआ पहुंचा। परन्तु वारीक संघने विक्रम १८३८ वाली सालबाई नामक सन्धिकी आड़ लेकर सहाय देने से इनकार किया। परन्त १८४१ विक्रममें सयाजीराव और मानोजीराव दोनों की मृत्यु हुई। अतः गोविंदरावके अधिकारका अपने आप मार्ग प्रशस्त हुआ । और वह विना किसी विघ्न बाधा के गद्दीपर बैठा ।
इस घटना के थोड़े दिन पूर्व सताराके राजा शाहु द्वितीयन पेशवाको वकील उल मुल्क बनाया था। अतः पेशवाका बल अधिक बढ़ गया। इधर गोविंदराव गायकवाड़ पेशवासे असंतुष्ट था। साथही पेशवा और सिन्धियाके मध्यभी दुर्भावना थी । अतः सिन्धियाकी सहायकी आशा से गोविंदरावने पेशवा के साथ सद्भावना नहीं रखी। इसी समय पेशवाने स्वाधीन गुजरात प्रदेशकी मालगुजारी वसूल करनेके लिये • आपा सेरुलकरको भेजा । वह गोविंदराव गायकवाड़ के श्राधीन गांवोंकी प्रजाकोभी तङ्ग करने लगा। यहां तक कि अहमदावादका गायकवाड़ भवनभी उसने स्वाधीन कर लिया। अतः पेशवा और गायकवाड़के बीच युद्धकी संभावना उपस्थित हुई । ब्रिटिश वणिक संघ बीचमें कूदकर बीच बचाव करने लगा। इतनेहीमें विक्रम १८५६ में नवाब सूरतकी मृत्यु हुई। और वणिक संघने नवाबके प्रदेशको स्वाधीन किया । ब्रिटिश वणिक संघके शासक मिस्टर डन्कन सूरत आये । गोविंदरावने अपना दूत मिस्टर डन्कनके पास भेजा और आपा सेरुलकरके विरुद्ध सहाय मांगा। एवं अपने दूत द्वारा प्रगट किया कि यद्यपि पेशवाका सूबा चिमाजी आपा है परन्तु वास्तवमें शासक आपा सेरुलकर है । यदि ब्रिटिश वणिक संघ उसकी सहायता करे तो वह चौरासी प्रदेश संघको दे सकता है । परन्तु डन्कन महोदयने इस पर कुछभी ध्यान नहीं दिया अन्तमें सेरुलकर और गोविंदरावके मध्य युद्ध हुआ । और सेरुलकर बन्दी बनाया गया। परन्तु गोविंदरावकी मृत्यु हुई। और उसकी झाली राणी ( लख्तरके झाला ठाकोरकी बेटी ) सती हो गई
गोविंदका उत्तराधिकारी आनन्दराव हुआ । परन्तु उसे सुख शान्तिके स्थानमें कांटोंका ताज मिला क्योंकि गोविंदरावके अनौरस पुत्र कानोजीरावने उत्पात मचाया। और नन्दको बन्दी बनाया। एवं प्रजा तथा मंत्री मण्डलको सताने लगा । कोनाजीके प्रतिकूल
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com