________________
प्राक्कथ
५५
हो चला था । परन्तु किसी प्रकार स्वतंत्रता बनी रही थी । किन्तु मुजफ्फरशाह तृतीयके समय विक्रम १६१८ में मुगल सम्राट अकबरने गुजरातको अपने राज्यमें मिला लिया । लाट और गुजरात में मालवा के सुलतानं ।
जिस प्रकार गुजरातके बघेलोंका नाशकर अलाउद्दीनने गुजरातमें सूबा नियुक्त किया था उसी प्रकार माला धारके परमारोंका उत्पाटन कर उसने सूबा नियुक्त किया था । अलाउद्दीन समय १३६५ से लेकर विक्रम १४३० पर्यन्त मालवाका शासन दिल्हीके सूबादार करते थे । परन्तु उक्त वर्ष दिलावरखां उर्फ अमीशाहने मालवा में स्वतंत्र मुसलमान राजकी स्थापना की थी । और परमारोंकी राजधानी धारको अपनी राजधानी बनाया । दिलावरखांका उत्तराधिकारी उसका पुत्र होशंगशाह, उर्फ अल्लफखां मालवाका सुलतान हुआ । इसने धारसे राजधानी उठा माडूमें लाकर अनेक सुन्दर भवन आदि बनाये । और दो बार गुजरातपर आक्रमण किया। प्रथम बार इसको सफलता नहीं प्राप्त हुई परन्तु दूसरी बार विजयी हुआ और गुजरातको पूर्ण रूपसे लूटा ।
गुजरात में मुगल वंश
तैमूरने यद्यपि भारत में लूटपाट मचाअपना आंतक बैठा दिया था, तथापि भारत में मुगल वंशका राज्य स्थापित करनेवाला बाबर है । बाबरनेभी यद्यपि काबुलको विजय कर बादशाहकी उपाधि धारण की थी और अनेक बार हिन्दुस्तान में आकर लूटपाट मचाया था । परन्तु विक्रम संवत् १५८२ में पानीपतकी लड़ाईके बाद इब्राहिमखांको मार दिल्हीका बादशाह बना। दूसरे वर्ष विक्रम १५८३ में कनवा युद्धमें राजा संग्रामसिंहको हराया । चंदेरीमं मेदनीयको पराभूत किया । अफगानोंको पराभूत कर विहारको आधीन किया । और उसकी मृत्यु, विक्रम १५८६ में हुई । मुगल वंशावली निम्न प्रकार से है ।
i
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
बाबर
1 अकबर
www.umaragyanbhandar.com