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चौलुक्य चंद्रिका ] समावेश था। सेउन नामक राजाके नामसे यादवोंके राजका नाम सेउन देश पड़ा। और इसी सेउन वंशके यादव वंशी एक राजाने देवगिरी नामक नगर स्थापित कर उसे अपनी राजधानी बनाया । तबसे सेउन देशके यादव देवगिरीके यादव नामसे विख्यात हैं। देवगिरीको संप्रति दौलताबाद कहते हैं। अतः देवगिरी और सेउन देशके यादवोंमें अभिन्नता है। इस हेतु अब विवेचनीय विषय केवल मात्र इतनाही है कि चंद्रादित्यपुर भौर देवगिरीके यादवोंके मध्य कुछ संबंध था अथवा नहीं।
स्वर्गीय डा. भगवानलालने चान्दोदके यादवोंको सेउन–देवगिरीके यादवोंसे भन्न माना है और चांदोदके यादवोंको नर्मदा तटवर्ती चांदोदका अधिपति मान वर्तमान नासिक और खानदेशके भूभागपर राज्य करनेवाले यादवोंको पूर्णरूपेण भूल गये हैं।
... यदि वे ऐसा न करते और चांदोदके यादवोंकी वंशावली तथा वैवाहिक संबंधकी तुलना हेमाद्रि पंडितकी यादवराज प्रशस्ति कथित विवरणसे किये होते तो न वे चांदोदके यादवोंको नर्मदा तटवर्ती चांदोदका अधिपति और न सेउन देवगिरीके यादवोंसे विभिन्न मानते। हमारी समझमें चंद्रादित्यपुर या चंद्रपुर रूपान्तर चम्दोद माना जाता है, वह नर्मदा तटका चांदोद न होकर नासिक जिलाका चम्दोद ग्राम है। हमारी इस धारणाका समर्थन इस बातसेभी होता है कि नर्मदा तटवर्ती चांदोदके आसपास यादवोंके अस्तित्वका परिचय नहीं मिलता, परन्तु जैसा कि हम उपर बता चुके हैं नासिक खानदेशादि भूभागपर उनके अस्तित्वका परिचय स्पष्ट रूपसे मिलता है। पुनश्च हेमाद्रि पंडितने नासिक खानदेशवाले यादवोंको स्पष्ट रूपेण सेउन देवगिरीको यादवोंकी वंशावलीमें स्थान प्रदान किया है। इतनाही नहीं झंकी कन्या लष्टिगवाके विवाहका वर्णन विस्तारके साथ किया है। यादवोंके अन्यान्य ऐतिहासिक लेखोंके पर्यालोचनसे हेमाद्रिके कथनका पूर्णतया समर्थन होता है। चांदोदके यादवोंको नासिक खानदेशवाले यादवोंसे अभिन्न सिद्ध करनेके पश्चात् एवं उन्हें सेउन-देवगिरीका यादव माननेके अनंतर इनकी वंशावली निम्न प्रकारसे होती है।
दृढ प्रहार
से उन चंद्र-१
धा दि प्य-१
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