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[प्राक्कथन और लाट तथा गुर्जर देशके राजाओंपर यादबोंका आक्रमण। विशेषतः यादवों द्वारा शिक्हाराओं के मूलोच्छेदका उक्त उल्लेख परिचायक है। साभहो यहभी प्रकट होता है कि मादवोंने उत्तर कोकणके शिल्हाराओंका मूलोच्छेद कर उनके राज्यको अपने राज्यमें मिला लिया था। और उसका शासन वे अपने प्रतिननिधि द्वारा करते थे। अब यदि यहांपर बादवोंके संबंधमें कुछ विचार प्रकट करें तो असंगत न होगा। वरण आगे चलकर लाट नंदीपुर और लाट बासुदेवपुरके चौलुक्योंका इतिहास विवेचन करते समय इस विचारसे अभूतपूर्व सहाय प्राप्त होनेकी संभावना है।
___यादव वंशका प्रथम परिचय उनके शिला लेखोंसे चंद्रादित्यपुर या चंद्रपुरके नामसे सर्व प्रथम मिलता है। चंद्रादित्यपुर अथवा चंद्रपुरको कितने एक विद्वान चांदोद और दूसरे चम्दोद मानते हैं। यादवोंका प्रथम परिचय हमें चान्दोदके नामसे मिलता है। द्वितीय परिचयसे उन देशके यादव नामसे मिलता है। और तृतीय परिचय देवगिरीके यादव नामसे प्राप्त होता है। चौलुक्य चंद्रिका लाट खण्डके अन्तर्गत लाट नंदीपुर शीर्षकमें उधृत त्रिलोचन पालके शक संवत् ९७२ वाले लेखके विवेचनमें चंद्रादित्यपुर (चम्दोद या चांदोद) के यादवोंका उल्लेख किया गया है। और यहभी बताया गया है कि इन्हीं यादवोंके साथ लाट मंदीपुरके चौलुक्यों तथा उत्तर कोकणके शिल्हाराओंका वैवाहिक संबंध था। शिल्हाराओंका इतिहास विवेचन करते समय देवगिरीके यादवोंके हाथसे उनको पराभव तथा मूलोच्छेदका वर्णन कर चुके हैं। अब प्रश्न उपस्थित होता है कि चांदोदका अवस्थान कहांपर था। और बांदोद, सेउन देश और देवगिरीका यादव वंश अभिन्न या विभिन्न था।
हमारी समझमें जब तक चांदोद, सेउन देश और देवगिरीके अवस्थानका परिचय शा न कर लें, तब तक इस प्रश्नका उत्तर नहीं दिया जा सकता। दक्षिणापथ (वातापि) के चौलुक्योंके इतिहासिके लेख “ चौलुक्य चंद्रिका"-वातापि खंडके प्राक्कथनमें सेउन देशके अवस्थान प्रभृतिका पूर्णरूपेण विवेचन कर चुके हैं। और यहभी बता चुके हैं कि सेउन देश पूर्व कालमें दण्डकारण्य नामसे प्रख्यात भूभाग, अन्तर्गत संप्रति नासिक, डांग, धरमपुर और वांसदाके कुछ भूभागका समावेश है। पूर्वोत्तरमें अवस्थित था । उक्त सेउन देशके अन्तर्गत वर्तमान खानदेश और निजाम राज्यके औरंगाबाद जिलाके भूभागका
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